समाचार विश्लेषण/ये कहां आ गये हम, दुहाई है

समाचार विश्लेषण/ये कहां आ गये हम, दुहाई है
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
ये कहां आ गये हम ? दुहाई है , दुहाई है । यह मेरा कहना नहीं है । यह तो सुप्रीम कोर्ट कह रहा है धर्म के नाम पर घृणा का माहौल देश पर हावी हो जाने पर ! हेट स्पीच के मामलों पर ! सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश राॅय की पीठ ने दिल्ली , उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि भडकाऊ भाषण देने वाला चाहे किसी भी धर्म का हो , धर्म को देखे बिना उस पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए । ऐसे मामलों में राज्य पुलिस किसी शिकायत का इंतज़ार न करे ! यदि पुलिस ऐसे मामलों में कोताही बरतती है तो यह भी कोर्ट की अवमानना मानी जायेगी ! इस तरह कोर्ट ने अच्छी फटकार लगाई है ।
इसके बावजूद आप हरियाणा के आदमपुर उपचुनाव की ओर आ जाइए । यहां हेट स्पीच का मामले तो नहीं हैं लेकिन हर बार चुनाव , उपचुनाव या फिर नगरपालिका और पंचायत चुनाव के समय यह मज़ेदार कनेक्शन देखने को मिलता है कि एक डेरे के बाबा जो जेल में बंद है, उसे पैरोल मिल जाती है , अच्छे चाल चलन के पर ! जो साध्वी यौन शोषण और हत्या का दोषी पाया गया , उसका चाल चलन जेल में जाते ही कितना अच्छा हो गया ! सचमुच जेल न कहिये , सुधारगृह कहिये ! सुधारगृह ! सुनारिया जेल को तो पुरस्कृत किया जाना चाहिए । ऐसे ही चाल चलन सुधर गया बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म करने वालों का और उन्हें भी चौदह साल बाद ही अच्छे चाल चलन के चलते रिहा कर दिया गया और ऊपर से हार डाल कर उनका अभिनंदन भी हो रहा है । इस देश का यारो क्या कहना !  
अभी बाबा जेल से रिहा क्या हुए कि ऑनलाइन सत्संग भी कर दिया । इस  सत्संग पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या पैरोल पर आया व्यक्ति ऐसा कर सकता है ? हमारे हरियाणा के डिप्टी स्पीकर  ही नहीं , हमारे मेयर की धर्मपत्नी और जजपा के एक विधायक ने भी इनसे आशीर्वाद लेने में देर नहीं लगाई ! हालांकि आशीर्वाद लेने वाले विधायक कह रहे हैं कि मैं इनका अनुयायी नहीं ! अब आशीर्वाद मिलते ही आदमपुर के उपचुनाव में प्रचार के लिये भी निकल पड़े ! यही सवाल जब आप पार्टी के प्रभारी से पूछा गया तो वे बड़े मासूम से बोले कि हमारा धर्म की राजनीति में कोई विश्वास नहीं ! भाजपा की ओर से चाहे मनीष ग्रोवर हों या फिर प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ सबके सब इसे कोर्ट का मामला कह कर पल्ला झाड़ते दिखे ! कह रहे हैं कि इसे सरकारें तय नहीं करतीं ! अब बताओ कांग्रेस प्रत्याशी भी इसमें बोल गये कि असली डेरा प्रेमी तो मैं हूं , बाकी सब नकली सौदा !
इधर एक संत ने इनेलो को समर्थन देने का फैसला क्या किया कि उनकी गाड़ियों के काफिले पर पथराव कर दिया गया । वीडियो वायरल हुआ । अभय चौटाला के साथ मीडिया से रूबरू हुए और पुलिस स्टेशन तक पदयात्रा करते हुए शिकायत करने गये ! 
पग पग पर इन कोमल सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है । यहां कदम कदम पर यह हाल हो , वहां सुप्रीम कोर्ट ही संज्ञान ले रहा है , इसी का सहारा बचा है । हरियाणा के सिरसा में रह रहे पत्रकार छत्रपति के परिवार के लोग पूछते हैं कि क्या इस तरह बार बार चुनाव के समय बाबा को पैरोल देना सही है ? 
‐*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।