समाचार विश्लेषण/क्यों आहत हुईं हेमामालिनी?
अपने गालों की तुलना सड़कों से करना उन्हें नितांत अरुचिकर लगता है । पर राजनीति के लोग अपने चुनाव क्षेत्र में सड़कों को चकाचक बताने के लिए सड़कों की तुलना हेमामालिनी के गालों से करने से बाज नहीं आते । यह पहल की थी लालू प्रसाद यादव ने कुछ वर्ष पहले जब ऐसा बयान दिया था । हेमामालिनी का कहना है कि तब से लोग इसी लकीर को पीटे जा रहे हैं ।
 
                            -*कमलेश भारतीय 
प्रसिद्ध अभिनेत्री व मथुरा से भाजपा सांसद हेमामालिनी आजकल क्यों आहत महसूस कर रही हैं ? असल बात है कि अपने गालों की तुलना सड़कों से किये जाने से वे बुरी तरह आहत हैं । अपने गालों की तुलना सड़कों से करना उन्हें नितांत अरुचिकर लगता है । पर राजनीति के लोग अपने चुनाव क्षेत्र में सड़कों को चकाचक बताने के लिए सड़कों की तुलना हेमामालिनी के गालों से करने से बाज नहीं आते । यह पहल की थी लालू प्रसाद यादव ने कुछ वर्ष पहले जब ऐसा बयान दिया था । हेमामालिनी का कहना है कि तब से लोग इसी लकीर को पीटे जा रहे हैं । ऐसा नहीं होना चाहिए । ऐसे बयान अच्छे नहीं लगते । बेहतर है मैं अपने गालों को सुरक्षित रखूं । 
असल में हेमामालिनी को लेकर ताज़ा चर्चा तब शुरू हुई जब महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता गुलाब राव पाटिल ने जलगांव में अपने चुनाव क्षेत्र की सड़कों की तुलना एक बार फिर हेमामालिनी के गालों से कर डाली । उन्होंने अपने विरोधी को यह चुनौती भी दी कि यदि सड़कें हेमामालिनी के गालों जैसी न हुईं तो इस्तीफा दे दूंगा । इसी बयान के बाद से हेमामालिनी बुरी तरह आहत हैं ।
क्या नारी के गालों की ऐसी तुलना उचित है ? फिर वह भी हेमामालिनी जैसी प्रसिद्ध अभिनेत्री के बारे में ऐसी अभद्र टिप्पणी । मजेदार बात कि संजय राउत भी नहीं रुके और बोले कि ऐसी तुलना पहले भी हुई है और इसे हेमा जी के प्रति सम्मान के रूप में देखा जाना चाहिए । हम उनकी इज्जत करते हैं । इसे नकारात्मक रूप में न देखें । पहले लालू प्रसाद यादव भी ऐसा उदाहरण दे चुके हैं । 
यानी शर्म मगर इनको नहीं आती । क्या नारी सिर्फ विज्ञापन या शोभा की वस्तु है ? नहीं । यह एक बीमार सोच व बीमार मानसिकता से ज्यादा कुछ नहीं । एक बार श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी अपने बेटे संजय गांधी से गुस्से में कह दिया था कि मैं उस लड़की से तुम्हारी शादी कैसे कर सकती हूं जो तौलिये का विज्ञापन करती हो ? पर बेटे के प्रेम के आगे झुकना पड़ा और मेनका को बहू स्वीकार करना पड़ा । बेशक मेनका को वह सम्मान ससुराल में नहीं मिला जिसकी वे हकदार थीं लेकिन मूक प्राणियों के लिए उनके काम की भरपूर सराहना होती है और वे लगातार राजनीति में सक्रिय हैं । उन्होंने अपने संघर्ष व लगन से अपनी पहचान बनाई । नगमा काफी लम्बे समय तक कांग्रेस में रही लेकिन वे मेरठ में भीड़ द्वारा छुये जाने की कोशिशों से बुरी तरह आहत हुईं ।  इसी प्रकार कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ऐसे आरोप लगाये कि पार्टी में नारी का सम्मान नहीं और पार्टी छोड़ गयीं । आजकल शिवसेना की ओर से राज्यसभा में हैं । जयललिता के साथ करूणानिधि जब मुख्य मंत्री थे तब विधानसभा में बुरा बर्ताव किया गया । यह सब क्यों ? 
प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा :
नारी तुम केवल श्रद्धा हो 
विश्वास रजत नग तल में ,,,
पीयूष स्त्रोत सी बहा करो 
जीवन के सुंदर समतल में 
पर कहां नारी के गालों की तुलना सड़कों से कर उसको अपमानित और आहत किया जा रहा है । ऐसे मंत्री और संजय राउत को माफी मांगनी चाहिए तब शायद वे कुछ अच्छा महसूस करें ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।
 
                             
                 Kamlesh Bhartiya
                                    Kamlesh Bhartiya                                
 
         
         
        

 
                                    
                                 
 
 
 
