समाचार विश्लेषण/हर शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है?

समाचार विश्लेषण/हर शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
वैसे तो गज़ल की पंक्ति है -इस शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है पर दीपावली और पराली ने मिल कर जो हालात बना दिये हैं उसे देखकर पूछा जा रहा है -हर शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है ? यह तो बताइए अधिकारियो । नौकरशाही इतनी जड़ कैसे हो गयी ? यह आग लगने पर ही कुआं क्यों खोदती है ? पहले साल भर क्या करती रहती है ? वैसे कहना नहीं चाहिए पर लगता है अमृत महोत्सव कार्यक्रमों में व्यस्त है या इवेंट मैनेजमेंट में । टी वी पर बहस से भी ज्यादा फैल रहा है प्रदूषण दिल्ली एनसीआर में और नौकरशाही कोर्ट के आदेश की काॅपी की इंतज़ार कल रही है कि कब आदेश आएं और ये नीचे तक सरका दें कि कोर्ट के आदेश पर यह लागू करें । सभी सरकारें एक दूसरे पर दोषारोपण में व्यस्त हो गयी हैं , समस्या को दूर करने की कोई चिंता नहीं । अपनी बला दूसरे के सिर पर डालने की कोशिश हो रही है । 
पराली के जलाने से हर साल प्रदूषण बढ़ता है और कुछ जुर्माने भी लगाये जाते हैं लेकिन इससे डर पैदा नहीं होता । सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा व पंजाब की सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है । केंद्र सरकार ने सलाह दी है कि सार्वजनिक वाहन से कर्मचारी ऑफिस आएं तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कह रहे हैं कि ऑड ईवन वाहनों के चलाने पर विचार किया जायेगा । इस प्रदूषण को लेकर राजू श्रीवास्तव ने व्यंग्य किया कि घर में बीबी सांस नहीं लेने देती और बाहर प्रदूषण दम घोंट रहा है । इसी प्रकार एक काॅर्टून आया है जिसमें दिल्ली के मफलरधारी मुख्यमंत्री केजरीवाल कह रहे हैं कि पहले मैं अकेला खांसता था , देखा अब सारी दिल्ली खांस रही है । अब हंस के दिखाओ मुझ पर ? हो गया न कमाल? 
खैर । हिमाचल जैसे पर्यटन स्थल पर भी जो लोग घूमने जाते हैं वे वहां प्रदूषण फैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ते । इसे देखते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता व लेखिका चंद्रकांता सीके ने पालमपुर के आसपास के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में 35000 पौधे लगाये हैं । दूर क्या जाना ? हिसार नगर निगम के कमिश्नर व हमारा प्यार हिसार ने इस वर्ष मिल कर शहर में खूब पौधे लगाये और बांटे जिससे कि शहर ग्रीन हिसार बन सके । ऐसे ही अभियानों की निरंतर जरूरत है नहीं तो प्रदूषण आने वाले समय में इतना बढ़ जायेगा कि मास्क लगाये बिना बाहर न निकल सकेंगे और यही पूछूंगे-
हर शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है ...
-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।