समाचार विश्लेषण/कौन डरता है ओमीक्रोन से?
-*कमलेश भारतीय
क्या कोरोना की तीसरी लहर जो ओमीक्रोन के नाम से आ चुकी है , उससे कोई डरता है ? नहीं । कोई नहीं डर रहा । सिर्फ वही लोग करेंगे जिनके परिवार के लोग इसकी चपेट में आयेंगे बाकी तो मस्ती कर रहे हैं और कहिए तो कच्चे काट रहे हैं । अब देखिए न निर्वाचन आयोग क्या कहता है ? उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव निर्धारित तिथियों पर ही होंगे पर कोरोना से बचाव रखिए । ये मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुशील चंद्रा जी की वाणी है । यानी आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है । सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार वाली बात हो गयी यह तो कि नहीं ?
आपको याद होगा? पश्चिमी बंगाल में कोरोना के बावजूद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी बड़ी रैलियां करने से परहेज नहीं किया था । चुनाव के बाद ही कोरोना की फिक्र सताई थी । फिर बैठकें शुरू की थीं । है न हास्यास्पद स्थिति ? अब भी लगातार उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड और हिमाचल जा रहे हैं और बड़ी बड़ी रैलियां कर रहे हैं । जो पहले से घोषित रैलियां हैं उन्हें रद्द नहीं किया जा रहा । वैसे केंद्र राज्यों को सख्ती करने के आदेश जारी कर रहा है । यह कैसी विरोधाभासी नीतियां हैं ? अकेले प्रधानमंत्री ही नहीं हमारे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ले लीजिए । चंडीगढ़ नगर निगम में चौदह सीटें जीतने पर पहुंच गये जश्न मनाने और परवाह नहीं की कोरोना की । हालांकि दिल्ली में सब से तेज़ गति से फैल रहा है ओमीक्रोन लेकिन किसे फिक्र है ? जिसे फिक्र करनी चाहिए वे तो चंडीगढ़ में जीत का जश्न मना रहे हैं और जनता को मास्क का पाठ पढ़ा रहे हैं । दूर क्यों जाना अपने हिसार नगर में भव्य शो हुआ और एक जगह नाटक मंचन भी । अभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भी भव्य कार्यक्रम होते जा रहे हैं । प्रदेश के विश्वविद्यालयों में युवा महोत्सव हो रहे हैं और किलकी सुनाई दे रही है । खेलो इंडिया होने वाला है । इन पर अंकुश कौन लगायेगा ? इन गतिविधियों पर प्रशासन ने नज़र नहीं रखी जो बहुत जरूरी थी । भाजपा की महिला नेत्री सोनाली फौगाट भी अपने फार्म पर नये साल का जश्न आयोजित करने जा रही हैं और यह कहा जा रहा है कि सौ ही रजिस्ट्रेशन किये हैं और यह उनका निजी प्रोग्राम है , इस पर एतराज किसलिए और क्यों? पर सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का ? नव वर्ष के कार्यक्रमों पर नज़र रखना बहुत जरूरी हो चला है ।
अगर हम ओमीक्रोन को लेकर गंभीर न हुए तो मुश्किलें बढ़ती जायेंगी फिर रोकना कठिन हो जायेगा ।
प्रधानमंत्री जी आप खुद गाइडलाइन के पालन की शुरूआत कीजिए और मुख्यमंत्री जी आप भी तभी नीचे तक उपायुक्त सख्त कदम उठा सकेंगे ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।