हवाओं का रुख कैसा भी हो , नाटक तो करना ही है : अमित कुमार चौहान

हवाओं का रुख कैसा भी हो , नाटक तो करना ही है , सर ! यह आत्मविश्वासपूर्ण बात कही फिलहाल कुरूक्षेत्र निवासी रंगकर्मी अमित कुमार चौहान ने जो हिसार के रंग नाट्योत्सव में नाटक मंचन करने आये थे । इनके हौंसले की दाद देनी पड़ेगी कि सन् 2011 में शादी के तुरंत बाद अमित का एक भीषण सड़क दुर्घटना में दायां  पैर काटना पड़ा और वे कुछ समय तक सोचते ही रह गये कि क्या करूं , क्या न करूं लेकिन आखिर नाटक ने ही जिदगी को नयी पहचान दी ।

हवाओं का रुख कैसा भी हो , नाटक तो करना ही है : अमित कुमार चौहान
अमित कुमार चौहान।

-कमलेश भारतीय 
हवाओं का रुख कैसा भी हो , नाटक तो करना ही है , सर ! यह आत्मविश्वासपूर्ण बात कही फिलहाल कुरूक्षेत्र निवासी रंगकर्मी अमित कुमार चौहान ने जो हिसार के रंग नाट्योत्सव में नाटक मंचन करने आये थे । इनके हौंसले की दाद देनी पड़ेगी कि सन् 2011 में शादी के तुरंत बाद अमित का एक भीषण सड़क दुर्घटना में दायां  पैर काटना पड़ा और वे कुछ समय तक सोचते ही रह गये कि क्या करूं , क्या न करूं लेकिन आखिर नाटक ने ही जिदगी को नयी पहचान दी । मूल रूप से जिला हिसार के मिर्चपुर गांव के निवासी अमित कुमार चौहान की नौवीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल मिर्चपुर में ही हुई । फिर जमा दो जींद में और फिर ग्रेजुएशन करनाल और जींद में । इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से एम ए थियेटर की । 

-थियेटर की ओर कब और कैसे आये ?
-करनाल के खालसा काॅलेज में पढ़ रहा था । बचपन से मिथुन चक्रवर्ती अच्छा लगता था उनकी तरह बनने का मन करता था । करनाल जिस काॅलोनी में रहता था वहां नुक्कड़ नाटक करने वालों के सम्पर्क में आ गया । सावित्री बाई फुले संस्था ये नाटक करती थी । इसी प्रकार पाश पुस्तकालय के सम्पर्क मे भी रहा ।फिर एक नाटक कार्यशाला लगी काॅलेज में । डायरेक्टर विजय गिरि आये थे और मेरा निश्चय हो गया कि अब थियेटर ही करना है ।
-इंडियन थियेटर में क्या कर पाये ?
-नीलम मान सिंह , महेंद्र कुमार , अनुराधा कपूर, कुमार वर्मा सर, श्वेता कुमार महेंद्रा मैम , देवेंद्र राज अंकुर आदि से सीखा । फिर नीलम मान सिंह की कम्पनी संस्था से जुड़ गया और इसके चलते लाहौर और टोक्यो में भी जाकर थियेटर करने का अवसर मिला । पांडिचेरी से थियेटर में एम फिल किया-आर. राजू के निर्देशन में ।
-अपनी संस्था कब बनाई ?
-सन् 2018 में कुरूक्षेत्र में हलकारा नाट्य संस्था । हिम्मत जुटाई कि एक पांव है तो क्या ! मलबे का मालिक (मोहन राकेश) की कहानी का नाट्य रूपांतरण किया । इसका मंचन गुरुग्राम, बठिंडा और कुरूक्षेत्र में मंचन बहुत सफल रहा और विश्वास हो गया कि थियेटर कर सकता हूं । एक्टिंग न सही , निर्देशन ही सही । 
-अब क्या मंचन कर रहे हो ?
-पाश की कविताओं और सुनील पंवार की कहानी का मंचन । यही हिसार मे भी किया था । अभी आपकी कहानी नदी और लहरें पर काम कर रहा हूं जो गायत्री कौशल ने दी ।
-परिवार के बारे में ?
-पत्नी शिवानी जिसने हर संकट में साथ दिया । बेटी साहित्या और बेटा अश्वत्थ । 
-नाटक से जिंदगी चल जाती है ?
-खींच खांच कर चला रहा हूं बड़ी मुश्किल से ।
-कौन एक्टर पसंद हैं ?
-पंकज कपूर, नवाजुद्दीन , राजकुमार राव ।
-आगे क्या लक्ष्य ?
बस अभिनय और थियेटर करना है । हवाओं का रुख कैसा भी क्यों न हो !
हमारी शुभकामनाएं अमित कुमार चौहान को ।