समाचार विश्लेषण/यह राजनीति है तू देख बबुआ 

समाचार विश्लेषण/यह राजनीति है तू देख बबुआ 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
यह राजनीति है तू देख बबुआ । अभी छह सात माह पहले पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहे हरीश रावत आज खुद उसी दौर से गुजर रहे हैं । पहले तो उन्हें उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा ही घोषित नहीं किया और फिर वे खुद हार भी गये । अब उन पर आरोप लगने लगे हैं कांग्रेस के अंदर ही । जिससे आहत होकर हरीश रावत ने कहा कि यदि मैं इतना ही खराब हूं तो मुझे पकड़कर खड्ड में दबा दो । कांग्रेस को अपने लिए भगवान माना तो अब होलिका दहन आ रहा है तो उनका भी राजनीतिक दहन हो जाना चाहिए । इतने ही आहत और बेआबरू होकर कैप्टन अमरेंद्र सिंह कांग्रेस से गये थे तब प्रभारी थे रही हरीश रावत यानी जो किया वह अब खुद भगत रहे हैं । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय समिति में प्रभावशाली रावत का सितारे अब डूब गये हैं । इधर पंजाब में हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशी कह रहे हैं कि हमें तो चन्नी ने डुबोया । इसे सीएम बनाना बहुत बड़ी गलती थी और अब इसे कांग्रेस से बाहर किया जाये । हालांकि पूर्व हाॅकी खिलाड़ी व पूर्व मंत्री रहे परगट सिंह ने कहा कि यह समय एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का नहीं है बल्कि हार से सबक लेकर आगे बढ़ने का समय है । ये बातें पंजाब क्रांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी के सामने रखी गयीं ।
आज ही शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में भगवंत मान ने ग्रहण की है और उस शपथ लेने पर आम जनता के अढ़ाई करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान बताया जा रहा है । यह शपथ कितनी सादगी से ली गई है और पहले से ही आर्थिक बोझ तले दबे पंजाब को पहले दिन ही आर्थिक चपत बड़ी बेरहमी से लगाई जा रही है । ऊपर से मुफ्त भी कुछ देने की घोषणाएं हैं । केजरीवाल के पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर राखी बिड़ला ऑटो में विधानसभा पहुंची थी लेकिन फिर केजरीवाल ने बड़ा बंगला भी लिया और वह लक्की बेगनार गाड़ी भी छोड़कर सरकारी गाड़ियों में शान से सवारी निकलने लगी । बेगनार वाला अपनी कार वापस मांगने आ गया । अब तो इस सादा शपथ ग्रहण समारोह पर यही कह सकते हैं कि 
इस सादगी पर कौन न 
मर जाये ए खुदा ...
इसी प्रकार हरीश रावत की स्थिति पर यह शेर याद आ रहा है : 
तुमसे पहले भी 
जो शख्स तख्त पर नशीन था 
उसको भी अपने खुदा होने पर 
इतना ही यकीन था ...
राजेश खन्ना भी कहा करते थे कि 
आज जहां मैं हूं 
कल कोई और था 
वो भी इक दौर था 
ये भी इक दौर है ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।