समाचार विश्लेषण/ ये लड़ाई है गद्दार और वफादार की?

समाचार विश्लेषण/ ये लड़ाई है गद्दार और वफादार की?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
ये लड़ाई है गद्दार और वफादार की यानी राजस्थान की । जैसे ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली हुई , वैसे ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आपसी कलह भी तेज हो गयी क्योंकि अशोक गहलोत ने पायलट को राहुल गांधी के साथ देख लिया और एक इंटरव्यू में कह दिया कि किसी गद्दार को कभी मुख्यमंत्री नहीं बना सकते क्योंकि सचिन ने सन् 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया था । ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता जिसने अपनी ही सरकार को गिराने की कोशिश की हो ! राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश से पहले यह हंगामा शुरू हो गया जो बहुत ही दुखद है लेकिन विरोधियों के लिए खुशखबरी !  अशोक गहलोत का यह भी दावा है की विधायकों को दस दस करोड़ रुपये दिये गये थे विद्रोह करने के लिए ! 
दूसरी ओर सचिन पायलट कह रहे हैं कि मेरा पालन पोषण ऐसी भाषा की इजाजत नहीं देता । यह भी कहा कि प्रथमिकता यह है कि राहुल गांधी के हाथ मजबूत करें और विधानसभा चुनाव की तैयारी करें ! 
पायलट ने कहा कि गहलोत उन्हें निकम्मा , नाकारा और गद्दार आदि कहते रहे हैं लेकिन उनका लालन पालन उन्हें इस प्रकार की अभद्र भाषा के प्रयोग की अनुमति नहीं देता ! इतने अनुभवी राजनेता जिन्हें पार्टी ने सब कुछ दिया , वे ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं , यह बहुत हैरान कर देने वाली बात है ! अभी प्रथमिकता गुजरात के विधानसभा चुनाव हैं न कि आपस की लड़ाई ! 
वैसे अशोक गहलोत ने इसी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद कुर्बान कर दिया । जबकि सोनिया गांधी ने इन्हें सबसे ज्यादा वफादार मानकर इनका चयन किया था लेकिन वे पीछे हट गये और एक बार भी न सोचा कि वफादारी किस चिड़िया का नाम है ! नयी पीढ़ी को अपने हाथों पद सौंपकर बडप्पन दिखाने की बजाय राष्ट्रीय अध्यक्ष पद ही ठुकरा दिया । आखिर किसी गलती को माफ करना कब सीखेंगे ? जब कोई हार कर लौट ही आया और आपकी हर अच्छी बुरी गाली सह व सुन रहा है तो ऐन मौके पर विवाद बढ़ाने की जरूरत क्या है ? क्या राहुल गांधी की यात्रा में बिघ्न डालने के समान नहीं ? तभी तो हर प्रदेश में विरोधी कह कह हैं कि राहुल बाबा , पहले कांग्रेस जोड़ने निकलते , बाद में भारत जोड़ो यात्रा करते ! तीसरी ओर जयराम रमेश कह रहे हैं कि इस मसले को इस तरह सुलझाया जायेगा कि काग्रेस पार्टी मजबूत दिखेगी ।
अभी हरियाणा भी तैयार हो रहा है । किरण चौधरी रोज़ कार्यकर्त्ताओं के द्वार जा रही हैं ।  और डंके की चोट कह रही हैं कि मैं काग्रेस में रहूंगी अपनी शर्तों के साथ ! यहां भी जनवरी में भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश की ऐसी ही तैयारियां चल रही हैं ! कोई प्रदेश किसी से कम नहीं रहना चाहता !  गुटबाजी की दीमक कांग्रेस को खाये जात है ! अब कौन करेगा इलाज ? 
न समझोगे तो 
सन् 2024 में भी 
क्या कर पाओगे ,,,,,
ऐ कांग्रेस के योद्धाओ ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।