नाटक दयाशंकर की डायरी में दिखी महानगरीय जीवन की त्रासदी

नई दिल्ली, गिरीश सैनी। हिपा, रोहतक के एकल नाटक "दयाशंकर की डायरी" का सातवां मंचन दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित स्वरांजली स्टूडियो में किया गया। प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री और नाटककार नादिरा ज़हीर बब्बर द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन विश्व दीपक त्रिखा ने किया। डॉ. सुरेंद्र शर्मा के एकल अभिनय ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नाटक में एक नाकाम व्यक्ति की कहानी के माध्यम से महानगरीय जीवन की त्रासदी को प्रस्तुत किया गया। एक्टर बनने मुंबई आए एक युवा दयाशंकर को मजबूरन एक ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करनी पड़ती है। थोड़ी पगार में घरवालों की ज़रूरतों को पूरा करने के कारण वह हमेशा तंगहाली में रहता है। दफ्तर के माहौल से दुःखी युवक को अपने बॉस की खूबसूरत बेटी से एकतरफा प्यार हो जाता है और वह उससे शादी के सपने देखने लगता है, जबकि लड़की अपने पिता के धनवान दोस्त के बेटे से शादी कर लेती है। इससे दयाशंकर टूट जाता है और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। आर्थिक तंगी और टूटते सपनों की त्रासदी के साथ नाटक का दुःखद अंत होता है।
प्रकाश व ध्वनि व्यवस्था जगदीप और कला व स्टेज सेटिंग समीर शर्मा ने संभाली। इस दौरान फिल्म अभिनेता एवं स्वरांजली स्टूडियो के संस्थापक विपिन के. सेठी, प्रिया सेठी, शमा खान, गुरदीप सिंह, विपिन, दिलशाद सहित कलाकार और नाट्य प्रेमी मौजूद रहे।