ब्रह्मांड किस भाषा में बात करता है
कभी-कभी ब्रह्मांड शब्दों से नहीं, संकेतों से बात करता है। जब हम सजग होकर जीते हैं, तो हर संयोग एक दिव्य संदेश बन जाता है कि हम सही मार्ग पर हैं।
कभी कोई दिन ऐसा होता है जब ज़िंदगी खुद आपसे बात करने लगती है। कहीं कोई पैटर्न दिखता है, कोई नंबर बार-बार सामने आता है, कोई अनजाना व्यक्ति अचानक मिल जाता है, और मन में एक हल्की सी मुस्कान उठती है। यह सब यूं ही नहीं होता; यह ब्रह्मांड के संदेश हैं, जो उन तक पहुंचते हैं जो सुनना जानते हैं।
बीते रविवार को मैंने नई दिल्ली में एयरोसिटी स्थित हॉलीडे इन में आयोजित एक वर्कशॉप में भाग लिया, जिसका नाम था – द आर्ट ऑफ बीकमिंग ए मिलियनेयर स्पीकर। सुबह ऊर्जा से भरी थी, पर जो कुछ हुआ वह सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि एक रहस्यमय अनुभव बन गया।
जैसे ही मैं होटल के प्रवेश द्वार पर पहुंचा, एक सफ़ेद फॉर्च्यूनर गाड़ी सामने आकर रुकी। उसकी नंबर प्लेट पर लिखा था 1111। यह वही संख्या थी जो कई महीनों से मेरे जीवन में बार-बार दिखाई दे रही थी, और यही मेरे आने वाले पुस्तक का शीर्षक भी है - ब्लिस 1111.
क्षणभर को लगा, मानो ब्रह्मांड मुस्कुराकर कह रहा हो कि “तुम सही राह पर हो।”
इसके तुरंत बाद दूसरा आश्चर्य हुआ। मैं जब लिफ्ट में पहुंचा, तो वहां खुद वर्कशॉप के ट्रेनर - लंदन के इंटरनेशनल स्पीकर अमनदीप थिंड खड़े थे, मोबाइल में मग्न। मैंने हल्के स्वर में मुस्कुराकर कहा - “ब्लिस ऑन!” उन्होंने ऊपर देखा, मुस्कुराए और सिर हिलाया। वह छोटा सा क्षण, जैसे पूरे दिन की प्रस्तावना बन गया।
कार्यशाला शुरू हुई। आठ घंटे चली। यह कोई आध्यात्मिक कार्यक्रम नहीं था, पूरी तरह कॉर्पोरेट और प्रोफेशनल ट्रेनिंग पर केंद्रित था। फिर भी, उस दिन अमनदीप ने हमें 80 से अधिक बार गहरी सांस लेने को कहा। हर बार जब मैं गहरी सांस लेता, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती, क्योंकि यही तो हमारे ब्लिस मेडिटेशन का पहला चरण है।
उस पल मुझे लगा, जैसे ध्यान और संवाद एक हो गए हों। सांस लेने की वह सरल क्रिया, जो आत्मिक शांति देती है, वही पब्लिक स्पीकिंग में आत्म-विश्वास की जड़ भी है। बिज़नेस और कॉन्शसनेस, मानो दोनो जगत एक ही सांस में जुड़ गए थे।
कॉफी-ब्रेक के दौरान जब मैंने होटल के खूबसूरत वर्टिकल गार्डन की फोटो लेने के लिए फोन खोला, तो स्क्रीन पर समय दिखा 11:11 एएम। दोपहर में देखा तो 2:22 पीएम। और रात में, फिर वही 11:11 पीएम। दिन जैसे अंकों की भाषा में लिखा गया एक दिव्य संदेश बन गया था।
कार्यशाला के अंत तक, पता चला कि हमारे 5एएम ब्लिस ग्रुप के दो सदस्य पहले से ही वहां मौजूद थे, और चार नए सदस्य उसी दिन वहां जुड़ गए। सारी घटनाएं एक ही कंपन, एक ही ऊर्जा में बंधी थीं।
ब्रह्मांड कैसे संवाद करता है: ब्रह्मांड शब्दों में नहीं, संकेतों में बात करता है। कभी समय में, कभी संख्याओं में, कभी किसी अनायास हुई मुलाक़ात में। जब हम अपने उद्देश्य के साथ तालमेल में होते हैं, तो ज़िंदगी उसी आवृत्ति यानी फ्रीक्वेंसी पर जवाब देने लगती है।
1111 एक दिव्य सामंजस्य का प्रतीक है। यह बताता है कि आपकी सोच और आपकी राह एक सूत्र में बंधी हैं। 222 का अर्थ है विश्वास और संतुलन, यानी सहयोग और अवसर सही दिशा में विकसित हो रहे हैं। ये सब संयोग नहीं, बल्कि चेतना के संकेत हैं। जितनी सजगता बढ़ेगी, उतने स्पष्ट ये संदेश सुनाई देंगे।
ब्लिस के नजरिए से: उस दिन की सबसे बड़ी सीख मंच से नहीं, सांस से मिली। हर गहरी सांस यह याद दिला रही थी कि घर लौटने का रास्ता भीतर ही है, यानी सजगता, शांति और उपस्थिति में। ट्रेनर हमें पब्लिक स्पीकिंग के गुर सिखाना चाहते थे, पर अनजाने में वे हमें जीना भी सिखा रहे थे। जैसे कि बोलने से पहले ठहराव, सांस लेकर खुद को केन्द्र में लाना,
और फिर पूर्ण उपस्थिति से संवाद करना। यही तो ब्लिस का सार है।
ब्रह्मांड कभी शोर नहीं मचाता; वह सिर्फ़ संकेत देता है। और जब आप सचमुच सुनना शुरू करते हैं, तो हर कार्यशाला, हर व्यक्ति, हर क्षण, एक मेडिटेशन बन जाता है। कभी-कभी ब्रह्मांड फुसफुसाता नहीं, वह बस मुस्कुराता है, संख्याओं, सांसों और सुंदर संयोगों के रूप में।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
(विचार निजी हैं।)
Narvijay Yadav 

