कार्यशाला से प्राप्त जानकारी से करियर और फिल्म निर्माण के प्रति दृष्टिकोण को आकार दें विद्यार्थीः डॉ. अमित आर्य
डीएलसी सुपवा में पांच दिवसीय फिल्म कार्यशाला संपन्न।

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय दादा लख्मीचंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसी सुपवा) और सिने फाउंडेशन हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय फिल्म कार्यशाला का समापन शनिवार को कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई छह लघु फिल्मों के प्रदर्शन के साथ हुआ। समापन सत्र में कुलपति डॉ. अमित आर्य, कुलसचिव डॉ. गुंजन मलिक मनोचा, विश्व संवाद केंद्र से राजेश सहित फिल्म एवं टीवी विभाग के सभी संकाय सदस्य उपस्थित थे।
5-6 प्रतिभागियों की छह टीमों ने विवि परिसर में फिल्म एवं टीवी विभागाध्यक्ष महेश टी.पी., संपादन प्रमुख इंद्रनील और ऑडियोग्राफी प्रमुख देबाशीष रॉय के मार्गदर्शन में लघु फिल्मों की शूटिंग की, जिन्हें छात्रों की टीम ने सहयोग दिया।
देवानंद टीम द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर निर्मित उत्कृष्ट फिल्मों में से एक, "पागल" ने दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरी। प्रदर्शनियों के बाद, प्रत्येक समूह के टीम लीडरों ने अपने अनुभव साझा किए।
कुलपति डॉ. अमित आर्य ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी प्रतिभागियों, विशेषज्ञों, शिक्षकों, मार्गदर्शकों और स्वयंसेवकों को सम्मानित किया। उन्होंने कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए प्रो. राकेश योगी, हरिओम कौशिक, विकास, रमेश चहल और विभांशु वैभव सहित आयोजन टीम की प्रशंसा की।
कुलपति ने कार्यशाला के दौरान कुलपति डॉ. गुंजन मलिक मनोचा के पर्यवेक्षण और सुविधा के लिए उनकी सराहना की। समापन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. अमित आर्य ने कहा कि इस कार्यशाला ने हमें दिखाया है कि अनुभवी मार्गदर्शकों के मार्गदर्शन में युवा मस्तिष्क क्या कर सकते हैं। इन लघु फिल्मों में प्रदर्शित रचनात्मकता, अनुशासन और टीम वर्क वास्तव में प्रेरणादायक हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से प्राप्त जानकारी यहीं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए; इनसे आपके करियर और फिल्म निर्माण के प्रति आपके दृष्टिकोण को आकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही दृश्य कला, डिजाइन और वास्तुकला में भी इसी तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
इस पांच दिवसीय कार्यशाला में फिल्म उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने पटकथा लेखन, अभिनय, छायांकन, निर्देशन, संपादन, ध्वनि डिजाइन और निर्माण प्रथाओं में 30 चयनित प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।