समाचार विश्लेषण/रहस्यमयी फिल्म जैसी सोनाली फौगाट की ज़िंदगी 

समाचार विश्लेषण/रहस्यमयी फिल्म जैसी सोनाली फौगाट की ज़िंदगी 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
सोनाली फौगाट की ज़िंदगी किसी रहस्यमयी फिल्म जैसी बन कर रह गयी । पहले जीवन भी रहस्यमयी रहा । हिसार टीवी की एक एंकर से शुरू हुई कला व एक्टिंग की यात्रा टिक टाॅक व बिग बाॅस तक पहुंची । टिक टाॅक गर्ल से राजनीति में आई और राजनीति में विवादों की रानी बनी । ऐसे वीडियोज आ रहे हैं जिसमें सोनाली यह कह रही है कि मैं दिखाना चाहती हूं कि नारी कमज़ोर नहीं । सशक्त है और कुछ भी कर सकती है । क्या ऐसा कर पाई ? नहीं । जैसी खबरें और जैसा सच निकल कर सामने आ रहा है उससे तो यही लगता है कि सोनाली चाह कर भी वैसी नहीं बन पाई , जैसी बनने की उसने सोची थी । क्या वह नाम की 'दबंग लेडी' थी ? क्या वह दोहरी ज़िंदगी जी रही थी ? क्या उसका निजी स्टाफ ही उसे ब्लैकमेल कर रहा था ? इतना पाॅवरफुल कैसे बनने दिया अपने निजी सचिव को कि वह उसे नशीली खीर खिलाफ कर अश्लील वीडियो भी बना ले और घर की चाबियां व एटीएम तक अपने कब्जे में ले ले ? यह कैसी सशक्त या दबंग लेडी ? जब पहली बार इस अश्लील हरकत की शिकार हुई थी , तभी अपने निकट संबंधियों को क्यों नहीं बता दिया ? तभी कोई कदम क्यों नहीं उठाया ? क्यों एक साल तक इस निजी सचिव को अपने साथ बनाये रखा ? ऐसी क्या मजबूरी थी ? आखिरी दिन भी तो अपने निकट संबंधी को सच्चाई बताई तो पहले दिन बताई होती तो यह हश्र क्यों होता ? जो जूते मार्किट कमेटी के सचिव को लगाये थे , वही जूते इस निजी सचिव को लगाये होते तो क्या यह मौत मिलती ? गोवा तक ऐसे आदमी को साथ क्यों ले गयी सोनाली ? क्या काम था उसका आपके साथ वहां? यह तो एक रहस्यमयी कहानी बनती जा रही है । अभी परिवारजन भी निजी सचिव पर ही सारा दोष लगा रहे हैं और गोवा की भाजपा सरकार से कोई मदद न मिलने की दुहाई भी दे रहे हैं । शोहरत, दौलत और नाम सब छीनने की धमकी देता रहा एक आदमी और तुम उससे ब्लैकमेल होती रही सोनाली ? क्यों ? आखिरकार किस बात का या किस राज का डर था ? 
सोनाली की चर्चा के साथ साथ लोग फिजां की चर्चा भी करने लगे हैं और यह कह रहे हैं कि फिजां जैसे अंत को प्राप्त हो गयी सोनाली । यदि समय रहते खबर न होती तो क्या पता होटल के कमरे में ही मृत पाई जाती । सारा ग्लैमर , सारी राजनीतिक सत्ता की नजदीकियां भी किसी काम न आईं और एक मजबूर महिला जैसी साबित हुई सोनाली । फिजां की तरह राजस्थान की भंवरी को भी लोग याद करने लगे हैं जो मदेरणा नाम के मंत्री के नजदीक आई और राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा बढ़ने पर आखिरकार उसकी हत्या कर दी गयी । चाहे मंत्री को जेल मिली लेकिन भंवरी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । सोनाली इन सबसे अलग बहुत सम्मानजनक स्थान रखती थी लेकिन एक पीए से इतना कैसे दब गयी और क्यों दब गयी ? राजनीति में आकर किसी पीए की जरूरत ही थी तो किसी युवा लड़की को साथ रखती । किसी की मदद भी हो जाती । अब ऐसे बंदे को पीए रखा जो सब लूट कर खाने को तैयार । फिर नतीजा या हश्र ऐसे ही हो सकता था । पर ऐसे दुखद अंत पर बहुत दुख है । सोनाली । तुम बहुत ऊंचाइयां छू सकती थी लेकिन ऐसे अंत की कभी कल्पना नहीं की थी । महिलाओं को राजनीति में कैसे कदम और कैसा व्यवहार करना चाहिए , यह भी सोचने की बात है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।