चुनावों के नतीजे और आप्रेशन लोट्स

दिल्ली निगम , गुजरात विधानसभा , हिमाचल विधानसभा और मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सहित कुछ उपचुनावों के नतीजे आ गये हैं । दिल्ली निगम में आप पार्टी ने जीत हासिल की तो गुजरात में भाजपा ने सातवीं बार जीत तो हासिल की ही लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ ।

चुनावों के नतीजे और आप्रेशन लोट्स
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
दिल्ली निगम , गुजरात विधानसभा , हिमाचल विधानसभा और मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सहित कुछ उपचुनावों के नतीजे आ गये हैं । दिल्ली निगम में आप पार्टी ने जीत हासिल की तो गुजरात में भाजपा ने सातवीं बार जीत तो हासिल की ही लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ । कांग्रेस ने गुजरात में हथियार डाल दिये थे । न सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी वहां प्रचार करने गये । आप पार्टी ने इस कमजोरी का फायदा उठाया और राष्ट्रीय पार्टी बनने लायक बहुमत जुटाने की कोशिश की । दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से मुलायम सिंह की पुत्रवधु डिम्पल भारी मतों से जीतने की ओर बढ़ती जा रही है । डिम्पल अपने ससुर की सीट सपा की झोली में डालेगी , यह निश्चित है । वैसे भी डिम्पल के बारे में नारा लगता है -डिम्पल भाभी , सत्ता की चाबी । अब सत्ता की न सही , जीत की चाबी तो साबित होने जा ही रही है ।
 इसके बावजूद हिमाचल में भाजपा  रिवाज बदलने का नारा देकर भी रिवाज नहीं बदल पा रही बल्कि राज ही बदलता नजर आ रहा है । रिवाज नहीं बदल रहा -एक बार कांग्रेस , एक बार भाजपा ! वैसे हिमाचल के कुछ वरिष्ठ पत्रकार हिमाचल में कांग्रेस के बहुमत में आने की भविष्यवाणी डंके की चोट करते आ रहे थे अपने अनुभव के आधार पर । यह भविष्यवाणी सच होती दिखाई दे रही है । अब यहां भाजपा के आप्रेशन लोट्स का खतरा कांग्रेस को सताने लगा है और अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को कैसे समझा बुझाकर सरकार बनायेगी कांग्रेस यह भी एक चुनौती सामने है । कांग्रेस को जनता ने बहुमत दिया लेकिन क्या काग्रेस विधायक इस बहुमत का सम्मान रखेंगे ? कहीं मणिपुर तो नहीं दोहराया जायेगा ? हालाकि प्रियंका गांधी पहले से ही हिमाचल में मौजूद हैं और वे सारे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है लेकिन अभी इतनी अनुभवी हुई या नहीं कि विधायकों को जोड़कर रख सकें ? यह देखना है । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री भूपेंद्र बबूल भी हिमाचल जा रहे हैं ताकि विधायकों को विश्वास में रख सकें । जहां यह काग्रेस का मुश्किल इम्तिहान है , वहीं भाजपा परेशान है कि आखिर सत्ता कैसे हासिल की जाये ? यदि संविधान को ताक पर रखकर सत्ता हासिल करती हो तो बदनामी झेलने को तैयार रहना चाहिए ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।