आंदोलन की सीख कि किसान से पंगा -न बाबा न : योगेंद्र यादव 

आंदोलन की सीख कि किसान से पंगा -न बाबा न : योगेंद्र यादव 
योगेंद्र यादव।

-कमलेश भारतीय 
किसान आंदोलन की सबसे बड़ी सीख यह है कि किसान के साथ पंगा ,,,,न बाबा न । बिल्कुल नहीं लेना चाहिए । हमारा मूल उद्देश्य पूरा हो चुका है । तीनों कृषि कानून मृत हो चुके हैं । बस । इनका डेथ सर्टिफिकेट जारी होना बाकी है । यह कहना है किसान आंदोलन की सात सदस्यीय राष्ट्रीय समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव का । वे पूरे दस दिन बाद अस्पताल से लौटे हैं । जो पहले चुनाव विश्लेषक के रूप में चर्चित रहे और फिर आप पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे और आजकल स्वराज इंडिया को चला रहे हैं । 
मूल रूप से योगेंद्र यादव हरियाणा के सहारनवास गांव के निवासी हैं । पिता देवेंद्र सिंह राजस्थान के श्रीगंगानगर के खालसा काॅलेज में प्रोफेसर थे तो पढ़ाई लिखाई श्रीगंगानगर के खालसा स्कूल व काॅलेज में हुई । प्रो देवेंद्र सिंह जी का कछ समय पूर्व ही देहांत हुआ है । ग्रेजुएशन के बाद जवाहर लाल विश्वविद्यालय, दिल्ली से एम राजनीति शास्त्र । पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से एम फिल और फिर सन् 1985 से इसी विश्विद्यालय के इसी विभाग में प्राध्यापक रहे सन् 1993 तक । उन्हीं दिनों मेरी इनसे जान पहचान बढ़ी जो मित्रता में बदल गयी और आज तक यह मित्रता चली आ रही है ।

-चंडीगढ़ से दिल्ली कैसे और कहां ?

-सेंटर फाॅर द स्टडी ऑफ डेवेलपिंग सोसायटी में पहुंचा । यहां सन् 1993 से 2013 तक बीस वर्ष रहा प्रोफेसर । 
-फिर चुनाव विश्लेषक कैसे बने ?
- मुझे सन् 1984 से चुनाव विश्लेषण में रूचि जागी । 
-किसके साथ शुरूआत हुई ?
-आज तक के एस पी सिंह के साथ । बहुत साथ रहा मेरा उनका । इसके बाद प्रणब राय । फिर विनोद दुआ के साथ ।
-क्या चुनाव विश्लेषण राजनीतिक भविष्यवाणी नहीं है ?
-जी नहीं । यह भविष्यवाणी नहीं है । मैं अपने अकादमिक शोध से यह काम करता था । यह ज्योतिष नहीं एक प्रकार की साइंस है । तकनीकी चुनौती है । घर बैठे बैठे जनता का मूड भांपा नहीं जा सकता । इसके लिए जनता के बीच जाना शुरू किया । जनमत को समझने की कोशिश की ।
-इस राह से हट कर आप पार्टी के साथ कैसे और क्यों जुड़ गये?
-उन दिनों देश में यह एक बड़ा जनांदोलन था यह भ्रष्टाचार के खिलाफ । सोचा अब तटस्थ रहने का कोई फायदा नहीं । आप पार्टी के संस्थापकों में एक सदस्य मैं भी रहा । 
-फिर आप पार्टी से बाहर क्यों आ गये  -यह पार्टी अपने मूल उद्देश्य से भटकने लगी । बार बार कोशिश की पार्टी के अंदर रहकर इसका विरोध करने की लेकिन जब मुंह बंद करने की चेतावनी दी गयी , तब सम्मान पूर्वक इसे छोड़ देना ही ठीक समझा ।
-स्वराज इंडिया कब बनाई ?
- सन् 2016 में । बड़ी बात कि शुभ को सच में बदलने का संकल्प । तात्कालिक सफलता के लिए पार्टी को अपने मूल उद्देश्यों से भटकना नहीं चाहिए । समझौते नहीं करने चाहिएं ।
-राजनीति के अलावा क्या शौक हैं ?
-साहित्य पढ़ने का शौक जैसे आपकी तरह कितने मित्र लेखक पुस्तकें देते हैं तो पढ़ता हूं । संगीत,का शौक लेकिन समय कम मिलता है इनके लिए ।
-लक्ष्य?
-देश का स्वधर्म को हासिल करना । वह स्वधर्म जो महात्मा गांधी और गुरुदेव  रवींद्रनाथ टैगोर ने दिखाया ।
-किसान आंदोलन का क्या कार्यक्रम रहेगा ?
-किसान आंदोलन तीसरे चरण तक जायेगा । पहला चरण छब्बीस जनवरी तक रहा । यानी दिल्ली की सीमाओं पर धरने । दूसरा चरण रहा महापंचायतों का जिससे यह आंदोलन पंजाब हरियाणा से आगे यूपी व राजस्थान तक फैला । तीसरा चरण होगा जब इसे बारे देश में फैलाया जायेगा । इसलिए कहता हूं -किसान से पंगा,,,न ,,,बाबा न 
हमारी शुभकामनाएं योगेंद्र यादव को ।