समाचार विश्लेषण/ अधिकारी बनाम राजनीति 

मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है ...

समाचार विश्लेषण/ अधिकारी बनाम राजनीति 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्या अच्छे अधिकारी और राजनीति एकसाथ नहीं चल सकते ? हिसारवासियों ने यह बात दूसरी बार महसूस की है । कुछ साल पहले यहां एक पुलिस अधीक्षक आए थे -श्रीकांत जाधव , जिन्होंने गौसेवा का अभियान चलाया और निराश्रित गऊओं को गोशालाओं तक गांव गांव जाकर पहुंचाने का काम किया । कुछ नयी गोशालाओं का निर्माण कार्य शुरू करवाया । मैं भी अन्य लोगों की तरह उनके साथ इस अभियान में ऊपर से तो कवरेज लेकिन अंदर से सहयोग के लिए चलता था । इस अभियान को बहुत करीब से देखा और श्रीकांत जाधव टाट पर बैठकर गोशालाओं में सबके साथ खाना भी खाते रहे । हिसार नगरवासियों की यह बहुत बड़ी समस्या तब भी थी और आज भी है कि निराश्रित गऊएं कितनी परेशानी का कारण बन रही थीं । अब भी आए दिन हम इस समस्या से दो चार हो रहे हैं और कुछ लोग तो जान भी गंवा चुके हैं । इस अच्छे अभियान को बेमौत मार दिया गया जब उन्हें राजनीति की सिफारिश पर ट्रांस्फर कर दिया गया । सारा शहर हैरान था । आंखें सबकी भीगी थीं ।
अब फिर हिसार में यही हुआ है । नगर निगम आयुक्त व सहृदय साहित्यिक व व्यावहारिक इंसान अशोक गर्ग की ट्रांस्फर कर दी गयी है और हर आंख हैरान भी है और भीगी भी है । अशोक गर्ग का तबादला क्यों ?
अशोक गर्ग एक अच्छे अधिकारी होने के चलते महिला सफाई कर्मियों के समाधान व उत्थान के अभियान में लगे हुए थे । पिछले वर्ष महिला दिवस के अवसर पर इन महिलाओं और इनके बच्चों को मंच प्रदान किया और इन्होंने श्रेष्ठ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबको हैरान कर दिया था । इनके बच्चों ने भी मंच पर प्रस्तुति दी । इसके बाद अशोक गर्ग यहीं नहीं रुके । इनके बच्चों की शिक्षा का बीड़ा  उठाया और पुस्तकालय बनाने शुरू किये । नगरवासियों ने इनके एक ही आसानी पर घरों में रखीं किताबें अर्पित कर इनका हौंसला बढ़ाया । अशोक गर्ग यहां भी नहीं रुके और आगे बढ़े । रेडक्रास भवन के आसपास व अस्पताल के एरिया में औचक निरीक्षण कर अवैध कब्जे हटवाने का अभियान चलाया । इन दिनों बच्चे के साथ टाट पर बैठकर ये भी भोजन करने लगे थे । इस जैसी न जाने कितने अभियान चलाये और हमारा प्यार हिसार जैसे संगठन को पीछे से पूरा पूरा सहयोग दिया और शहर के हर क्षेत्र को संवारने का काम किया । पिछले वर्ष हरा भरा हिसार अभियान चलाया गौ अरण्य से । खूब पौधे बांटे और बंटवाये।  कभी कभी मिलने पर मैं अपने पत्रकारिता के अनुभव के आधार पर मज़ाक करता था कि आप कुछ समय के ही मेहमान हैं अब हिसार में । आपका ट्रांस्फर जल्द होगा और वे सब समझ कर भी मुस्कुरा देते । भोले और मासूम बनते । जनता की सेवा के लिए हर समय तत्पर । सर्दियों में गरीबों को गर्म वस्त्र मिलें इसके लिए अपनी सरकारी कोठी पर अनेक रैक रखवाये कि लोग यहां गर्म कपड़े रख जायें । ये काम क्या किसी अधिकारी के हैं ? नहीं । यह काम तो राजनीति वालों के हैं लेकिन वे न काम करने के लिए आगे आए रहे थे और न ही इस तरह काम करने वाले अधिकारी को बर्दाश्त कर रहे थे । फिर वही हुआ । ऊपर तक इनको यहां से ट्रांस्फर करने की गुहार पुकार लगाई गयी कि यदि एक अधिकारी इतना लोकप्रिय हो जायेगा तो हमें कौन पूछेगा ? बस । वही गाना याद आ गया -हमारे अंगने में तुम्हारा क्या काम है ,,,,तो आखिरकार अशोक गर्ग के ट्रांस्फर के आदेश करवा कर ये लोग मोगेम्बो की तरह बहुत खुश हुए । 
पर सिरसा वाले उन्हें इतना भी बर्दाश्त नहीं कर पाये थे जबकि हिसार में वे दो साल काम कर अपनी गहरी छाप छोड़कर रेवाड़ी उपायुक्त के रूप में जा रहे हैं और सदैव लोगों के दिलों में रहेंगे । 
जनता के बीच रहने और जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले अधिकारी को सरकार को और मौका देना चाहिए था । पर वहीं बात कि 
माना कि गुलशन को गुलजार न कर सके 
कुछ खबर तो कम कर गये निकले जिधर से हम ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।