मन प्राण से जुड़ा हूं नाटक से: श्याम कुमार 

मन प्राण से जुड़ा हूं नाटक से: श्याम कुमार 
श्याम कुमार।

-कमलेश भारतीय 
मै अपने पूरे मन और प्राण से नाटक से जुड़ा हुआ हूं और इसी से ज़िन्दगी भर जुड़ा रहना चाहता हूं । यह कहना है नट सम्राट के संस्थापक , अभिनेता और निर्देशक श्याम कुमार का । वे हिसार के बाल भवन में चल रहे नाट्योत्सव में 'कम्बख्त इश्क' और 'हाय मेरा दिल' नाटक मंचित करने आए थे और दो दिन यहीं रहे । 
मूल रूप से राजस्थान निवासी रहे इनके दादा व पिता लेकिन ये दिल्ली में ही पले बढ़े और शिक्षा दीक्षा और रंगमंच से लगाव जु़ड़ाव यहीं हुआ । पुरानी दिल्ली के निवासी श्याम कुमार ने ग्रेजुएशन के बाद श्रीराम सेंटर से रंगकर्म का डिप्लोमा किया । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से 1992 में एक्टिंग वर्कशॉप की। नाट्यशास्त्र में पी.जी. डिप्लोमा किया जिसमें क्लासिकल व वर्ल्ड थियेटर शामिल रहे । 
-रंगमंच में कैसे लगाव पैदा हुआ ?
-बचपन से ही । एक बार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में किताब इश्यू करवाने गया तो एक नाटक का पोस्टर देखा । बस, मंज़िल मिल गयी जैसे । निर्देशक जावेद खलिक़ से मिला और इस तरह नाटक का हीरो बन गया नाटक -'दायें देखो , बायें देखो' मैं अभिनय किया । फिर दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में ही नाटक 'सत्यमेव जयते' और 'लहू के फूल' का निर्देशन किया । बस इसके बाद नाटक निर्देशित भी करने लगा । 
-नट सम्राट की स्थापना कब की ?
-सन् 1998 में । अब तो प्रतिवर्ष नाट्योत्सव भी मनाते हैं जो इस वर्ष ग्यारह मार्च से होने जा रहा है दिल्ली में। नाट्योत्सव का भी यह 19वां साल होने जा रहा है ।
-कोई अवाॅर्ड भी शुरू किये ?
-जी । नट सम्राट अवाॅर्ड देते चौदह साल हो गये हैं । विभिन्न आठ वर्गों में ये पुरस्कार /सम्मान दिये जाते हैं ।
-नाट्योत्सव का विचार कैसे ?
-हम रंगकर्मी एक दूसरे की सराहना करने में बहुत कंजूसी करते हैं । हम रंगकर्मी नाट्योत्सव के बहाने आपस में मिलें और नाटक पर बातचीत करें । एक दूसरे से मिलें और सीखें । बस । यही भावना रही इस नाट्योत्सव के पीछे । एक दूसरे को सराहने का मंच तैयार किया ।
-आपने एक्टर के तौर पर कौन कौन से मुख्य नाटकों में काम किया ?
-अंधा युग , तुग़लक़ , हानुश , बाकी इतिहास , जूलियस सीजर और बहुत सारे नाटकों में अभिनय किया है । 
-जो दो नाटक हिसार बाल भवन में देखने को मिले उनमें हास्य का पुट ज़्यादा है । क्यों ?
-हास्य पर आधारित नाटक दिल्ली में लोग टिकट खरीद कर भी देख लेते हैं । दूसरे हास्य में पूरी भाव भंगिमाओं का प्रदर्शन किया जा सकता है ।
-आपके प्रिय अभिनेता कौन ?
-हेमा सिंह , वागीश कुमार सिंह , मनोहर सिंह, श्री वल्लभ व्यास, हिमानी शिवपुरी , शबाना आज़मी, ज़ोहरा सहगल।
-आपको कौन-कौन से सम्मान मिले हैं?
- लाल बहादुर शास्त्री की पुत्र वधू शास्त्री द्वारा नवरत्न सम्मान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा इंदिरा गांधी सम्मान, विश्व दीपक त्रिखा द्वारा नाट्यश्री सम्मान, भानु भारती द्वारा सर्कल थिएटर सम्मान आदि।
-हिसार आकर कैसा लगा ?
-बहुत अच्छा लगा । पहले भी आ चुका हूं जब मनीष जोशी ने नाट्योत्सव की शुरुआत की थी तब भी मैं आया था । फिर हरियाणा के जींद , रोहतक , कुरूक्षेत्र, हांसी , गुरुग्राम अनेक नगरों में नाटक मंचन करने आता रहता हूं । अब तो हरियाणा अपना ही लगने लगा है ।
-आपने देश में कहां-कहां नाटक किए?
-लगभग सारे देश मैंने 50 से ऊपर नाटकों के लगभग दो हज़ार से ऊपर मंचन किए हैं, देश व विदेश में।
-लक्ष्य ?
-बस । नाटक । नाटक और नाटक । पूरे मन प्राण से ।
हमारी शुभकामनाएं श्याम कुमार को ।