सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के शपथ समारोह का रोहतक बार में सीधा प्रसारण

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के शपथ समारोह का रोहतक बार में सीधा प्रसारण

रोहतक, गिरीश सैनी। भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। वे 9 फरवरी, 2027 को 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होने से पहले लगभग 15 महीनों तक इस पद पर बने रहेंगे।

इस शपथ ग्रहण समारोह का सीधा प्रसारण जिला बार एसोसिएशन, रोहतक के चौ. रणबीर सिंह हॉल में बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया। इससे पूर्व न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सफल कार्यकाल, उनके अच्छे स्वास्थ्य और बार सदस्यों की समृद्धि की प्रार्थना के लिए बार एसोसिएशन परिसर में हवन आयोजित किया गया।

शपथ ग्रहण समारोह के सीधे प्रसारण को जिला एवं सत्र न्यायाधिकारी नीरजा कुलवंत कलसन, उपायुक्त सचिन गुप्ता, सभी न्यायिक अधिकारियों, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के सदस्य और पूर्व अध्यक्ष डॉ विजेंद्र सिंह अहलावत, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक हुड्डा, समाजसेवी राजेश जैन, महामंडलेश्वर कपिल पुरी सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं ने देखा।

जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक हुड्डा ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। जिला एवं सत्र न्यायाधिकारी नीरजा कुलवंत कलसन ने कहा कि यह न्यायपालिका के लिए एक गर्व का क्षण है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद को हासिल किया है।

बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के सदस्य और पूर्व अध्यक्ष डॉ विजेंद्र सिंह अहलावत ने कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत हरियाणा से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पहले व्यक्ति हैं, इसलिए इस दिन को हरियाणा में एक महापर्व के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भी गर्व की बात है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत 1984 में एमडीयू, रोहतक से एलएलबी करने के बाद 29 जुलाई 1984 को हमारी बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा से एक अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे।

डॉ विजेंद्र सिंह अहलावत ने बताया कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को जिला हिसार के गांव पेटवाड़ में हुआ था। उनके पिता मदन गोपाल शास्त्री एक प्रसिद्ध संस्कृत शिक्षक और प्रतिभाशाली लेखक थे। उन्होंने हरियाणवी भाषा में रामायण सहित कई पुस्तकें लिखीं, जिसके लिए उन्हें हिंदी साहित्य अकादमी से सूरदास पुरस्कार मिला।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1984 में जिला अदालत, हिसार में अपनी वकालत शुरू की और अगले ही साल चंडीगढ़ हाईकोर्ट में शिफ्ट हो गए। उनके नाम एलएलएम में गोल्ड मेडलिस्ट का खिताब और हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बनने का रिकॉर्ड दर्ज है हैं। 9 जनवरी 2004 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 5 अक्टूबर 2018 को उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्हें 24 मई 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।

 

सीजेआई सूर्यकांत ने न्यायाधीश के रूप में अपने 2 दशकों के लंबे कार्यकाल के दौरान कई उल्लेखनीय निर्णय दिए, जिनमें धारा 370  के निरस्तीकरण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता अधिकारों सहित अनेक ऐतिहासिक फैसले शामिल हैं। उन्होंने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर राष्ट्रपति संदर्भ के निर्णय में भाग लिया। वन रैंक वन पेंशन और पेगासस जासूसी मामले भी उनके बेंचमार्क निर्णय हैं।