समाचार विश्लेषण/फिर फिर महात्मा गांधी पर कुबोल

समाचार विश्लेषण/फिर फिर महात्मा गांधी पर कुबोल
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
महात्मा गांधी के बारे में प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने कहा है कि आने वाली पीढ़ियां मुश्किल से यह विश्वास करेंगी कि महात्मा हाड़ मांस के बने कोई व्यक्ति थे लेकिन हम हिंदुस्तानी इस बात को झूठलाने पर तुले हैं और कभी नाथू राम गोडसे तो कभी कंगना रानौत तो कभी साध्वी और अब कालीचरण महाराज यह साबित कर रहे हैं कि महात्मा गांधी थे और बहुत बुरे व्यक्ति थे । यह नाथू राम गोडसे ही थे जिसने प्रार्थना सभा में महात्मा पर गोली चलाई और इस संसार से विदा कर दिया । स्वतंत्रता की खुशी भी न मनाने दी । आज तक यह विवाद का विषय है कि गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा ? फिल्म भी बनी और बहस भी चली । ऐसे नाटक भी मंचित किये गये ।
फिर आई कंगना रानौत जिसने कहा कि यह सन् 1947 वाली आज़ादी तो अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को भीख में दी थी । यह कोई आज़ादी नहीं थी । आज़ादी तो सन् 2014 के बाद आई है । यह सच्ची आज़ादी है ।
गांधीवादी रामचंद्र राही एक दो दिन पहले हिसार में थे और इस संबंधी पूछे सवाल के जवाब में कहा कि कंगना कोई ऐसा व्यक्तित्व नहीं जिसकी बात का जवाब दिया जाये । जिस कंगना को इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष की जानकारी ही नहीं, कोई समझ नहीं उसको क्या कहा जाये पर जो कहा है वह ओच्छी मानसिकता के सिवाय कुछ नहीं । मजेदार बात कि हिंदी फिल्म निर्मात्ता भी गांधी को या उनकी आत्मा को दर्शाने में ज्यादा सफल नहीं रहे बल्कि विदेशी रिचर्ड एटनबरो की बनाई फिल्म राही को सबसे ज्यादा पसंद आई ।
अब आए हैं कालीचरण महाराज जिन्होंने फिर गोडसे को महिमामंडित किया और कहा कि महात्मा गांधी देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थे इसके साथ ही महात्मा गांधी की हत्या करने के लिए नाथू राम गोडसे को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया । इस पर छत्तीसगढ़ में कालीचरण पर केस दर्ज कर लिया गया है । इससे पहले भोपाल से साध्वी और सांसद ने भी नाथू राम गोडसे को महिमामंडित किया था जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज तो हुए लेकिन संसद से बाहर का रास्ता न दिखाया । ऐसा सलूक हो रहा है अपने देश में उस व्यक्ति के साथ जिसे गर्व से राष्ट्रपिता और महात्मा कहा जाता है । बताइए यह कब तक चलेगा और इन लोगों को सज़ा कब मिलेगी और कौन देगा ? क्या महात्मा गांधी और उनकी सत्य व अहिंसा वाली शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक नहीं हैं ? क्या इस देश को महात्मा गांधी की जरूरत नहीं? 
बस यही कहना चाहूंगा कि ये लोग नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं? भगवान् इन्हें माफ करे और सद्बुद्धि दे ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।