थप्पड़ और चप्पल कांड की गूंज/ कमलेश भारतीय

क्या कोई बता सकता है कि यह थप्पड़ और चप्पल की गूंज कितने समय तक गूंजती रहेगी 

थप्पड़ और चप्पल कांड की गूंज/ कमलेश भारतीय
कमलेश भारतीय।

हरियाणा की टिक टाॅक स्टार सोनाली फौगाट द्वारा मार्केट कमेटी के सचिव सुल्तान सिंह को मारे गये थप्पड़ और चप्पल कांड की गूंज पूरे हरियाणा में गूंज गयी । कर्मा फिल्म में जैसे दिलीप कुमार के थप्पड़ के बाद अनुपम खेर कहते हैं कि यह गूंज बहुत महंगी पड़ेगी ठाकुर । सच ।सुल्तान सिंह भी हिसार के सिविल अस्पताल में शायद यही गूंज सुन रहे हैं । हरियाणा भर में मार्केट कमेटी के कर्मचारी आंदोलन पर उतर आए और बिनैन खान भी चेतावनी दे रही है पर अफसोस यह सब भाजपा नेता नहीं सुन पा रहे । करनाल के सांसद संजय भाटिया को दूत बना कर हिसार भेजा और वे सोनाली से मिले । बस । जिला हिसार के भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र पुनिया और विधायक डाॅ कमल गुप्ता का एक ही वाक्य में पल्ला झाड़ लेना कि मामला हाई कमान के संज्ञान में है और वही फैसला करेगी , बताता है कि कोई कुछ कहने को तैयार नहीं । अब सोनाली की ओर से सुल्तान सिंह का कच्चा चिट्ठा बखान किया जा रहा है । जैसे वह पहले से ही तैयार थी इसके लिए । सुल्तान सिंह की नौकरी रणदीप सुरजेवाला ने लगवाई और पहले वही नेता थे जिन्होंने इस मामले को उठाया । सुल्तान सिंह रणदीप सुरजेवाला के चुनाव में उनका चुनाव कार्यालय देखते थे । आदि आदि । क्या ये सारे आधार थप्पड़ और चप्पल मारने के लिए जरूरी थे ? अभी सोनाली कह रही हैं कि फिर कोई ऐसी हरकत करेगा तो थप्पड़ ही मारूंगी यानी अपने किए का कोई पछतावा नहीं । सैलजा से भी सवाल पूछा है कि यदि आपके साथ कोई ऐसी हरकत करे तो आप क्या करेंगी?  बडा सवाल यह पूछा जा रहा है कि सोनाली जी , जब आपके साथ समर्थकों का लाव लश्कर था तब आपके साथ ऐसी वैसी हरकत कैसे कोई कर सकता है ? फिर वह वीडियो क्यों नहीं बनवा लिया ? आखिर एक नारी अपनी अस्मिता के लिए लड़े तो बुराई नहीं लेकिन नारी होने का कोई आधार बनाये यह भी तो सही नहीं । क्या इससे भाजपा की छवि धूमिल नहीं होगी ? जैसे सतविंद्र राणा के शराब कांड में फंसने और जेल जाने के बावजूद जजपा ने उसे अभी तक पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया, वैसे ही भाजपा ने भी सोनाली को कुछ नहीं कहा । आखिर लोकलाज कहां गयी ? पुलिस ने भी केस दर्ज करने के बाद से चुप्पी साथ रखी है । यह कैसी कार्यवाई हो रही है ? यानी ऊपर से आदेशों का इंतज़ार । वाह । लोकलाज कहां गयी ? बात नारी या पुरूष के की हो सकती है तो क्या इसका फैसला थप्पड़ व चप्पलों से किया जायेगा ? कानून एक नारी या पुरूष के साथ का खिलौना बनने दिया जायेगा ? इसे कुछ लोग दबंगई भी करार दे रहे हैं । नारी का सम्मान और नारी का अपने सम्मान के लिए इस हद तक जाना कितना सही है ? भाजपा विचार मंथन की मुद्रा में है । यह मुद्रा क्या फजीहत के बाद ही बदलेगी ? यह थप्पड़ और चप्पल की गूंज कितने समय तक गूंजती रहेगी ?