इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर भारत

भारत में 2026 तक 30 हजार करोड़ रुपए मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स का उत्पादन होने लगेगा। देश में ऐसे उत्पादों की मांग लगाता बढ़ रही है। इनमें लगाने के लिए देश को कम से कम 6 लाख करोड़ रुपए के सेमी कंडक्टर की जरूरत होगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर भारत

भारत में 2026 तक 30 हजार करोड़ रुपए मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स का उत्पादन होने लगेगा। देश में ऐसे उत्पादों की मांग लगाता बढ़ रही है। इनमें लगाने के लिए देश को कम से कम 6 लाख करोड़ रुपए के सेमी कंडक्टर की जरूरत होगी। सेमीकंडक्टर को देश में ही बनाने की तैयारी चल रही है। बेंगलुरु में सेमीकंडक्टर कांफ्रेंस, सेमीकॉन में आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक चिप उत्पादन के लिए सरकार को कई कंपनियों से प्रस्ताव मिले हैं। इनमें वेदांता फॉक्सकॉन जॉइंट वेंचर, आईजीएसएस वेंचर्स और आईएसएमसी शामिल हैं। इस बीच, चीन में कोरोना और लॉकडाउन के चलते सेमीकंडक्टर का उत्पादन घट गया है। इस साल की पहली तिमाही में चीन में इंटीग्रेटेड सर्किट के उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की कमी आई है। मार्च में सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन 5.1 प्रतिशत घटा। चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं ने सप्लाई चेन में बाधा आने की आशंका जताई है। इसका प्रभाव भारत पर भी हो सकता है, क्योंकि भारत चीन से काफी सारे कंपोनेंट का आयात करता है।

भारत सेमीकंडक्टर का 100 फीसदी आयात करता है, जिसमें आधा चीन से मंगाया जाता है। चिप के अलावा कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक, ऑटो और मोबाइल फोन के पुर्जे भी चीन से ही मंगाए जाते हैं। विश्व में इस वक्त चिप की ऐसी किल्लत चल रही है कि चिप निर्माता कंपनियां कबाड़ से खरीदी पुरानी वॉशिंग मशीनों में से सेमीकंडक्टर निकाल कर काम चला रही हैं। चिप की किल्लत जल्दी दूर होने वाली नहीं लगती। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सप्लाई लाइन बाधित हैं, जिससे माल की आपूर्ति रुक-रुक कर हो रही है या ठप्प पड़ी है। ताइवान की सबसे बड़ी चिपमेकर, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को कामगारों और कलपुर्जों की कमी के चलते उत्पादन घटते जाने का डर सता रहा है। चिप की कमी के चलते इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं समेत 169 से अधिक उद्योग प्रभावित हुए हैं। गत दो वर्षों में लॉकडाउन के समय लोग घर से काम करने लगे, ते कंप्यूटर, लैपटॉप, गेमिंग कंसोल आदि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग बढ़ गयी। दूसरी ओर, चिप बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन घटा दिया था।

एक आधुनिक कार में 1,500 से लेकर 3,000 तक चिप्स इस्तेमाल होते हैं। महामारी के दौरान, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया था, जिससे कई लोगों ने आत्म-अलगाव की अवधि के दौरान घरेलू मनोरंजन की ओर रुख किया, जिससे वीडियो गेम कंसोल की मांग बढ़ गई। सेमीकंडक्टर या चिप्स के गुण कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच के होते हैं। आमतौर पर सिलिकॉन से बने चिप का उपयोग कई प्रकार के उपकरणों जैसे कार, लैपटॉप, स्मार्टफोन, घरेलू उपकरण और गेमिंग कंसोल को बिजली सप्लाई करने के लिए किया जाता है। चिप से कई कार्य होते हैं, जैसे कि पॉवर डिस्प्ले और डाटा ट्रांसफर आदि। इसलिए, आपूर्ति की कमी का कार, फ्रिज, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है। ताइवान सेमीकंडक्टर बनाने में दुनिया में अग्रणी है। पिछले साल वहां भयंकर सूखा पड़ा, जिससे चिप निर्माताओं को दिक्कत हुई। चिप बनाने के लिए भारी मात्रा में शुद्ध पानी चाहिए होता है। शॉर्ट नोटिस पर चिप का उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता। चिप बनाना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें महीनों लगते हैं। एक चिप बनाने में आम तौर पर तीन महीने से अधिक समय लगता है। ऐसे में 2023 तक समस्या बनी रहेगी।    

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)