जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी- विभाग द्वारा हिंदी उत्सव-2025 का आयोजन

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 'हिंदी उत्सव-2025' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभाग के शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने  हिंदी कविता पाठ, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता  जैसे साहित्यिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी- विभाग द्वारा हिंदी उत्सव-2025 का आयोजन

अमृतसर: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 'हिंदी उत्सव-2025' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभाग के शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने  हिंदी कविता पाठ, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता  जैसे साहित्यिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम की मुख्य थीम 'हिंदी: एकता की भाषा' रही, जिसमें छात्रों ने हिंदी के महत्व और उसकी वैश्विक पहचान पर प्रकाश डाला। विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता, भाषा-संकाय प्रो. सुनील कुमार ने अपने संबोधन में कहा, 'हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी आत्मा और संस्कृति का प्रतिबिंब है।' हिंदी भारत की राजभाषा है और यह देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। हिंदी भारत के कोने-कोने में बोली और समझी जाती है, जिससे यह देश को जोड़ने वाली प्रमुख कड़ी बन गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी की पहचान बढ़ रही है। विश्वभर में लाखों लोग हिंदी बोलते हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन, विश्व हिंदी दिवस, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, हिंदी दिवस जैसे आयोजन हिंदी को वैश्विक मंच पर पहचान दिला रहे हैं। डिजिटल युग में हिंदी इंटरनेट, सोशल मीडिया, ज्ञान-विज्ञान और मनोरंजन के क्षेत्र में तेजी से फैल रही है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि भारत की संस्कृति, परंपरा और विचारधारा की वाहक भी है। संविधान द्वारा 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, और तभी से हर वर्ष यह दिन 'हिंदी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों की सराहना की और हिंदी भाषा को दैनिक जीवन में अपनाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर प्रो. सुनील कुमार ने विभाग में शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए 'शोध-मंच' बनाने की भी घोषणा की ताकि विभाग में निरंतर साहित्य गतिविधियों का आयोजन किया जा सके। विभागीय प्रेमचंद हिंदी साहित्य परिषद का पुनर्गठन भी किया गया। कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र दिए गये‌। आयोजन का सफल संचालन एम.ए. तृतीय समस्तर की छात्रा सुश्री भव्या ने किया।  

इस दौरान विभाग के अध्यापकों डॉ. सपना शर्मा, डॉ. लवलीन कौर, मैडम पिंकी शर्मा, डॉ. नेहा हंस सहित सभी शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।