जागरूकता से भरी आनंद यात्रा
पुनर्जन्म धूमधड़ाके के साथ नहीं होता। परिवर्तन धीरे-धीरे जन्म लेता है, जब भ्रम की आग स्पष्टता की रोशनी में बदल जाती है, तब अंदर एक नया “स्व” उठ खड़ा होता है - राख से जागरूकता तक, और फिर आनंद तक।
नरविजय यादव
नया जन्म कभी शोरगुल के साथ नहीं होता। यह किसी नाटकीय संगीत या गड़गड़ाहट से नहीं, बल्कि एक साधारण दिन के बीच अचानक शुरू होता है। जब भीतर से कोई आवाज़ कहती है, “अब उठने का समय है।” सदियों से कवियों और दार्शनिकों ने फ़ीनिक्स नामक उस पौराणिक पक्षी का ज़िक्र किया है जो अपनी ही अग्नि में जलकर फिर राख से जन्म लेता है। अधिकतर कथाओं में फ़ीनिक्स अमरता का प्रतीक माना गया है, पर मेरे लिए यह “आत्मिक नवीकरण” की कला है। फ़ीनिक्स अपनी अग्नि से नहीं डरता, वह जानता है कि विनाश अंत नहीं, बल्कि एक मार्ग है। हर जलन, जागरूकता के साथ खुद को फिर से गढ़ने का निमंत्रण है।
यही सिद्धांत हमारे जीवन पर भी लागू होता है। जब भी हम पुराने पैटर्न, भारी भावनाएं या उलझे विचार छोड़ते हैं, हम हल्के, अधिक केंद्रित और जीवंत बनते हैं। इसके विपरीत, कमल का फूल शुद्धता और शांति का प्रतीक है, जो कीचड़ से उगता है, फिर भी उससे अछूता रहता है। वह स्थिरता में जड़ें जमाए रखता है और प्रकाश की ओर बढ़ता है। जब फ़ीनिक्स और कमल एक साथ आते हैं, तो वे सजग रूपांतरण का एक दुर्लभ प्रतीक बन जाते हैं, साहस के साथ शांति, और गति के साथ अर्थ।
पिछले कुछ महीनों में मैंने इस रूपांतरण को गहराई से महसूस किया। फाइव एएम ब्लिस अभ्यास ने जीवन की लय बदल दी। अब सुबह मौन से शुरू होती है, यानी ध्यान, कुछ गहरी सांसें, और हल्के स्ट्रेच। ये छोटे-छोटे उपाय पूरे दिन एक स्थिर ऊर्जा प्रवाह बनाए रखते हैं। स्पष्टता अब सुबह की निशानी बन गई है। ध्यान उसके बाद स्वतः आता है। जब दिन जल्दी शुरू होता है और मन साफ होता है, तो काम हल्का लगता है, विचार रचनात्मक होते हैं और मन भटकता नहीं।
दिन के दौरान थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुर्सी से उठना, कमर सीधी करना या कुछ गहरी सांसें लेना, मन को रीसेट कर देता है। ये छोटे ठहराव, जिनकी प्रेरणा हाल ही में अटेंड की गई वर्कशॉप्स से मिली, मेरी ऊर्जा को संतुलित रखते हैं और एकाग्रता को तीव्र। 5एएम ब्लिस अभियान का उद्देश्य दूसरों को भी यही संतुलन महसूस कराना है, अनुशासन को आनंद से जोड़ते हुए। ध्यान का अर्थ काम से भागना नहीं, बल्कि यह बेहतर काम करने का एक सरल तरीका है। जागरूकता प्रगति को धीमा नहीं करती, वो उस थकान को मिटाती है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
5एएम ग्रुप के भीतर भी एक साफ बदलाव दिखाई दे रहा है। जो लोग पहले थकान के साथ उठते थे, अब सूर्योदय का स्वागत कृतज्ञता से करते हैं। जो मेडिटेशन नहीं कर पाते थे, अब भीतर गहरी शांति महसूस करते हैं। यह सामूहिक जागृति 5एएम ब्लिस यात्रा को अद्वितीय बनाती है। यह कोई प्रचार अभियान नहीं, बल्कि चेतना का एक शांत क्रांतिकाल है।
वास्तविक रूपांतरण तब शुरू होता है जब हम बाहरी परिवर्तन के पीछे भागना छोड़कर अपने भीतर झांकना शुरू करते हैं। उदाहरण के लिए, डिक्लटरिंग सिर्फ कमरे की सफाई नहीं है, यह मन में जमा अनावश्यक बोझ को हटाने की प्रक्रिया है। वास्तव में हर वस्तु, हर फाइल और हर स्मृति ऊर्जा लेकर चलती है। जब हम उस चीज को छोड़ देते हैं जो अब हमारे काम की नहीं, तब हम उस चीज के लिए जगह बनाते हैं जो सच में मायने रखती है।
यह प्रक्रिया हमेशा आसान नहीं होती, पर अंततः फलदाई होती है। पुरानी आदतों या पुराने मॉडल को छोड़ना साहस मांगता है, पर ठीक फीनिक्स की तरह हम हर बार पहले से अधिक स्पष्ट और उज्ज्वल होकर उठते हैं।
रूपांतरण कोई एक बार की घटना नहीं है। यह एक लय है, यानी गिरना, समझना, उठना और दोबारा खिलना। हर चक्र हमें और अधिक सजग, परिष्कृत और शांत बनाता है। राख से जागरूकता तक का सफर वह चरण है जहां हम ईमानदारी से अपने भीतर झांकते हैं। अगला चरण, जागरूकता से आनंद तक, वो है जहां जीवन सहज रूप से बहने लगता है। तब हम दुनिया पर प्रतिक्रिया नहीं देते, बल्कि संतुलन से उत्तर देते हैं।
जब जागरूकता गहरी होती है, तो अराजकता भी अर्थपूर्ण लगने लगती है। वही आग जो पहले जलाती थी, अब रास्ता दिखाने लगती है। यही है इस सूत्र का अर्थ - राख से जागरूकता तक; जागरूकता से आनंद तक। यह महज एक वाक्य नहीं, जीने का एक तरीका है।
नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं।
(विचार निजी हैं।)
Narvijay Yadav 

