समाचार विश्लेषण/बेखौफ माफिया और लचर कानून व्यवस्था 

समाचार विश्लेषण/बेखौफ माफिया और लचर कानून व्यवस्था 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
हरियाणा भर में अवैध खनन और लचर कानून व्यवस्था को उजागर किया डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की निर्मम हत्या ने । जब माफिया का डंपर रोका तो सामने वालों ने कहा कि इसके ऊपर गाड़ी ही चढ़ा दो ताकि इसे पता चले कि रास्ता कैसे रोका जाता है और क्रूर ढंग से यह हत्या कर डाली । खाकी बर्दी का क्या कोई खौफ नहीं रहा ? वैसे तो प्रतिपक्ष नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कानून व्यवस्था को निशाना बनाते रहते हैं लेकिन कल तो प्रमाण भी मिल गया कि किस प्रकार न केवल विधायक बल्कि पुलिस भी इनके सामने कितने बेबस हैं । क्या अब भी मुख्यमंत्री कानून व्यवस्था नियंत्रण में है , कह सकते हैं ? या अनिल विज कोई दावा या वादा कर सकते हैं ? यह बिल्कुल वैसी ही घटना है जैसी उत्तर प्रदेश में हुई थी और विकास को एनकाउंटर में मार गिराने के सिवाय कोई चारा नहीं रह गया था । जागो , जागो और जितनी जल्दी जाग सको तो हरियाणा के लोगों पर बड़ी कृपा होगी , सरकार । 
वैसे तो हर सरकार ऐसे दावे करती है और चेतावनी भी देती है कि अपराधियो यदि अपराध करना है तो हमारा राज्य छोड़कर चले जाओ । हम यहां अपराध को बर्दाश्त नहीं करेंगे लेकिन अपराधियों के हौंसले इस कदर बढ़ गये कि एक पुलिस अधिकारी पर ही डंपर चढ़ा दिया ? ऐसा फिल्मों में तो दिखाया जाता है लेकिन ज़िंदगी में सुरेंद्र बिश्नोई को साथ यह सच कर दिया गया । अभी हिसार में भी मातम है , उदासी है और गमगीन चेहरों ने इनके पार्थिव शरीर को अस्पताल में देखा । 
इससे पहले लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शाॅप शूटर्ज भी तो हरियाणा के ही निकले । इन्होंने मूसेवाला की निर्मम हत्या में बड़ी भूमिका निभाई । सिरसा का केकड़ा एक फैन बन कर गया और मात्र उन्नीस वर्ष के अंकित ने गाड़ी के बोनट पर खड़े होकर गोलियों की बौछार की । कैसे पनपता जा रहा है यह माफिया या गैंग ? अवैध खनन को न तोशाम के खानक में और न ही अरावली की पहाडियों में रोक पाने में सरकार को सफलता मिल पा रही है ।
कानून व्यवस्था प्रदान करना हर सरकार की प्राथमिकता है और होनी चाहिए । यदि कानून व्यवस्था नहीं तो न कोई उद्योग लगाने आगे आयेगा और न ही कोई सुरेंद्र बिश्नोई अपनी जान पर खेलेगा । पुलिस मनोबल बनाये रखने की जरूरत है । सुरेंद्र बिश्नोई के परिवार को बेशक एक करोड़ रुपये व एक नौकरी की घोषणा कर दी गयी है लेकिन मुझे याद आ रहे हैं एक समय पंजाब के राज्यपाल रहे सिद्धार्थ शंकर रे के शब्द । हमारे नवांशहर में एक स्कूल की छत गिरने से नौ बच्चे और इनके बचाते बचाते एक अध्यापक मल्कीयत सिह की जानें चली गयीं थीं और बीबीसी तक यह खबर चली थी । ऐसे में राज्यपाल सिद्धार्थ शंकर रे नवांशहर आये थे रेस्ट हाउस में लोगों ने इनके परिवारों को सहायता देने की मांग रखी थी । सिद्धार्थ शंकर रे ने आंखों में आंसू भर कर कहा था कि मैं इन्हें करोड़ों रुपये भी दे दूं तो भी इनकी भरपाई नहीं कर सकता लेकिन आपको अपने स्कूलों के भवनों की ओर ध्यान देना चाहिए । आज भी नवांशहर में एक चौक पर फट्टी बस्ता लगा है जो इनकी श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया ।
 इसी की तरह हरियाणा सरकार को कानून व्यवस्था की ओर ध्यान देने ही नहीं प्रथमिकता देने की जरूरत है । ठीक है परिवार की मदद के लिए सरकार आगे आ गयी है । 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।