प्रकृति, सौंदर्य व आध्यात्मिकता में बढ़ने लगा रुझान

प्रकृति, सौंदर्य व आध्यात्मिकता में बढ़ने लगा रुझान

पिछले दो सालों में दुनिया में बहुत कुछ बदला है। रफ्तार पर लगाम लगी है, प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की समझ पैदा हुई है, और लोगों में आध्यात्मिकता का विकास हुआ है। इसी तरह से सौंदर्य और बाहरी दिखावे को लेकर सोच में बदलाव आया है। महामारी के दौर में वैश्विक स्तर पर कॉस्मेटिक्स की बिक्री घट गई। महिलाओं ने इस दौरान घर से ही काम किया और मास्क पहन कर रखा, जिसके चलते उन्हें मेकअप करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इसका एक प्रभाव यह हुआ कि महिलाओं को अपनी नेचुरल ब्यूटी का अच्छे से अहसास हुआ और उन्होंने मेकअप करना कम कर दिया, जिससे दुनिया भर में कॉस्मेटिक्स कंपनियों का व्यापार प्रभावित हुआ है। उपभोक्ता मामलों की रिसर्च फर्म केंटार ने अपने सर्वेक्षण में तीन लाख महिलाओं को शामिल किया। ब्रिटेन में महिलाओं के सौंदर्य उत्पादों की बिक्री 2019 की तुलना में 19 प्रतिशत तक घट गई है। यहां तक कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स में सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री 40 प्रतिशत तक कम हो गई।

महामारी के दौरान सौंदर्य और सुगंध वाले प्रसाधनों की बिक्री कम हो गई। इसके बदले महिलाओं ने त्वचा, बाल और स्नान में सहायक उत्पादों पर अधिक ध्यान दिया। दो साल तक मास्क लगाए रखने के कारण अब आदतों में बदलाव हो चुका है, जिससे सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है। एक तरह से वर्क फ्रॉम होम इन कंपनियों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। एक चौंकाने वाला सर्वे इस बात को लेकर भी सामने आया कि इंजीनियरिंग के छात्रों की खेलकूद में दिलचस्पी न के बराबर होती है। इन छात्रों की टॉप 10 हॉबीज में खेलकूद और जिम का जिक्र तक नहीं है। अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिका, चीन, रूस और भारत के 167 तकनीकी संस्थानों के छात्रों की हॉबीज का सर्वे कराया, जिसमें इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के बारे में नई जानकारियां सामने आईं। इसी तरह का एक सर्वे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टैक्नीकल एजूकेशन द्वारा भी कराया गया। इसमें करीब 90 हजार छात्रों को शामिल किया गया। इनमें करीब 60 हजार छात्रों की पहली तीन हॉबीज में कुछ नया सीखना, पढ़ना और यूट्यूब पर डॉक्युमेंट्री फिल्में देखना शामिल है। 

इस बीच, पता लगा कि देश में 69 करोड़ लोग आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हें। 26 करोड़ लोग अपने स्तर पर किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हैं। अर्थात, देश के 70 प्रतिशत नागरिक किसी न किसी हैल्थ बीमा योजना का हिस्सा हैं, बाकी बची 30 प्रतिशत आबादी, यानी करीब 40 करोड़ लोग अभी तक किसी भी हैल्थ बीमा का हिस्सा नहीं हैं। केंद्र  सरकार इन 40 करोड़ भारतीयों को भी आयुष्मान योजना से जोड़ना चाहती है। नेशनल हैल्थ अथॉरिटी और नीति आयोग ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। योजना का लाभ उठाने के लिए इनमें से प्रत्येक व्यक्ति को 250 से 300 रुपए सालाना प्रीमियम देना होगा, जिसके एवज में इनमें से हरेक को साल में पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त मिल सकेगा। इसमें प्राइवेट वार्ड में रह कर इलाज करने की सुविधा भी शामिल होगी। मौजूदा आयुष्मान योजना में यह सहूलियत नहीं है। नई योजना अगले कुछ माह में लागू हो सकती है। आयुष्मान योजना के तहत, सरकार के पीएम-जय से जुड़े किसी भी अस्पताल में इलाज कराया जा सकेगा। यहां तक कि अन्य राज्यों में भी चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी।    

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)