रंगकर्मियों को फिल्मों में खुद को प्रूव करना पड़ता है: भाषा सुम्बली 

रंगकर्मियों को फिल्मों में खुद को प्रूव करना पड़ता है: भाषा सुम्बली 
भाषा सुम्बली।

यह बहुत बड़ी विडंबना है कि रंगकर्मियों को खुद को फिल्मों में प्रूव करना पड़ता है । फिर चाहे वे नसीरुद्दीन शाह हों या ओम पुरी , इरफान या यशपाल शर्मा । यह कहना है भाषा सुम्बली का जो एन एस डी कर मुम्बई की फिल्मी दुनिया में अपनी राह तलाश कर रही है । जिसकी फिल्म विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में ‘द कश्मीर फाइल्ज' 26 जनवरी 2022 को आने वाली है और उसके अभिनय की मिथुन चक्रवर्ती ने दिल खोलकर तारीफ की है ।
असल में भाषा सुम्बली के पापा अग्निशेखर मेरे पुराने मित्र हैं और उन्होंने अपनी फेसबुक वाॅल पर भाषा सुम्बली के बारे में मिथुन दा के साथ उसकी फोटोज और फोन पर हुई बातचीत का विवरण पोस्ट किया तब मुझे पता चला कि भाषा तो एक रंगकर्मी है और फिल्मों में भी कदम रख चुकी है । जम्मू कश्मीर की बेटी एन एस डी कर मुम्बई मे है। भाषा सुम्बली का जन्म तो धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में हुआ लेकिन आतंकवाद के कारण प्रयागराज, जम्मू  और दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में पली बढ़ी और दिल्ली में प्राइमरी शिक्षा के बाद जम्मू विश्वविद्यालय से ही ग्रेजुएशन की। फिर एन एस डी में चुनी गयी।
-थियेटर का शौक कैसे ?
-पापा अग्निशेखर के दिये साहित्यिक माहौल के चलते। मैंने पापा की तरह कविता की बजाय नाटक लिखे और मंचित किये। जब मात्र दसवीं/ग्यारहवीं कक्षा में थी तब पहला नाटक लिखा और केंद्रिय विद्यालय जम्मू में मंचित किया ।
-आगे क्या ?
-जम्मू विश्विद्यालय का प्रतिनिधित्व जोनल यूथ फेस्टिवल्स से लेकर नेशनल यूथ फेस्टिवल्स तक किया जहाँ अभिनय के लिए अनेक रजत  व स्वर्ण पदक पाए।

-एन एस डी के दौरान कौन से नाटकों में भाग लिया ?
-रूस्तम सोहराब , फ्रेंच क्रांति पर बने नाटक ‘मरात साद’ में और 'खड़िया का घेरा' वगैरह में काम किया ।   
-एन एस डी कर क्या किया?
-मुम्बई आ गयी संघर्ष करने और एक साल तक अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में एक्टिंग पढ़ाने लगी, खर्चा पानी निकालने के लिए।
-फिर?
-टेलीविजन में 'एक था रस्टी' में काम मिला । सोनी पर 'मेरे डैड की दुल्हन' किया श्वेता तिवारी के साथ । 'इंडियाज़ बेस्ट ड्रामेबाज़' और 'सबसे बड़ा कलाकार' की मेंटरिंग और डायरेक्शन की, जो मेरे लिए नया चुनौतीपूर्ण काम था ।
-फिल्मों में कैसे ?
-औडिशन दिया और मेघना गुलज़ार की एसिड अटैक पर बनी फिल्म 'छपाक' में छोटा सा रोल मिला दीपिका पादुकोण के साथ । यह विलेन की बहन का रोल था ।
-'द कश्मीर फाइल्ज' में कैसे ?
-विवेक अग्निहोत्री खासतौर पर इस फिल्म के लिए कश्मीर से संबंधित कलाकारों को खोज रहे थे । मैं भी उन्हे मिली और अपना बैकग्राउंड बताया, औडिशन दिया और फिल्म के महत्तवपूर्ण रोल के लिए चुनी गयी ।
-इसमें किन किन एक्टर्स के साथ काम किया?
-मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार, पुनीत इस्सर, प्रकाश बेलावडी, चिन्मय मान्डलेकर, अतुल श्रीवास्तव आदि के साथ काम करने का मौका मिला । इसी फिल्म को विदेश में देखकर मिथुन दा ने फोन किया और मेरे काम की जमकर तारीफ की । वैसे यह फिल्म 26 जनवरी, 2022 को रिलीज होगी । 
-प्रिय एक्टर कौन ?
- केवल फिल्म के ही नहीं, बहुत से ऐसे रंगमंच के कलाकार हैं, लोक कलाकार हैं जो  बहुत अच्छे अभिनेता है, मैं उनकी फैन हूं, इसलिए प्रिय अभिनेताओं की कोई तय सूची नहीं है।
-क्या थियेटर से रोज़ी रोटी चल सकती है ?
-यही तो दुर्भाग्य है कि रंगकर्मियों को खुद को प्रूव करने के लिए फिल्मों में काम करना पड़ता है । 
-कोरोना काल का कितना असर पड़ा?
-बहुत ज्यादा । शूटिंग तक बंद हो गयी और कलाकारों को घर बैठना पड़ा । 
-कोई पुरस्कार?
-इनलैक्स इंडिया फाउंडेशन से मिली फैलोशिप, जिसके तहत मैंने नाट्यशास्त्र की मूलभूत टेक्नीक्स और प्राचीनतम भारतीय शास्त्रीय नाट्य शैली कुडियट्टम, अपने गुरु गोपाल वेणु जी से केरल में सिखी।

हमारी शुभकामनाएं भाषा सुम्बली को।