सांग वीर विक्रमाजीत में रागनियों को सराहा दर्शकों ने
तीन दिवसीय नाट्य उत्सव संपन्न।

रोहतक, गिरीश सैनी। हरियाणा कला परिषद द्वारा प्रायोजित और हिपा, रोहतक के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय नाट्य उत्सव के अंतिम दिन सांग वीर विक्रमाजीत का मंचन हुआ। प्रसिद्ध सांगी पं. मांगे राम द्वारा लिखित इस सांग को सोनीपत के सांगी श्योनाथ त्यागी की टीम ने प्रस्तुत किया। चुटीले संवादों और विविधतापूर्ण रागनियों से सजे सांग को दर्शकों ने खूब सराहा। बतौर मुख्यातिथि, डॉ. सुरेन्द्र दहिया ने शिरकत की।
मंच संचालक अविनाश सैनी ने कहा कि सांग हरियाणा की सबसे प्राचीन लोकनाट्य विधा रही है। एक समय मनोरंजन का प्रमुख साधन रही यह विधा अब लुप्त होने के कगार पर है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार सांग की इस विधा को पुनर्जीवित करने के भरपूर प्रयास कर रही है और सांगियों को प्रोत्साहित करने के साथ साथ सांगों का अधिक से अधिक मंचन करवा रही है।
सांग वीर विक्रमाजीत उज्जैन के न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य और खांडेराव परी की कहानी पर आधारित है। सांग में कलाकारों ने उम्दा रागनियां प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। हिपा के चेयरमैन एवं प्रसिद्ध रंगकर्मी विश्वदीपक त्रिखा ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस दौरान मुंबई से जाने माने नाट्यकर्मी देव फ़ौजदार, डॉ. संतोष मुदगिल, सुभाष नगाड़ा, गायक गुलाब सिंह, सुधीर कुमार, नरेश, कृष्णा देवी, शक्ति सरोवर त्रिखा, विकास रोहिल्ला सहित शहर के संस्कृति प्रेमी मौजूद रहे।