समाचार विश्लेषण/आदमपुर उपचुनाव: निपटा नामांकन, अब करो आंकलन

समाचार विश्लेषण/आदमपुर उपचुनाव: निपटा नामांकन, अब करो आंकलन
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
आदमपुर उपचुनाव का नामांकन का पहला पहला दौर खत्म हो गया । कुल सत्ताइस नामांकन दाखिल किये गये जिनमें तीन डबल नामांकन भी शामिल हैं । आदमपुर चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता यह रहती है कि विशेष प्रत्याशियों के नामों से मिलते जुलते नाम के लोगों के डम्मी नामांकन करवा दिये जाते हैं । इस बार भी ऐसा ही है । इससे लोग भ्रम में अपना वोट किसी दूसरे को डाल आते हैं । यह काम बहुत अच्छे से कर लिया गया है । नामांकन करते समय शक्ति प्रदर्शन करने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी गयी । सचिवालय की ओर जाने वाली सड़क बुरी तरह जाम रही क्योंकि आखिरी दिन कांग्रेस , इनेलो व राजकुमार सैनी आदि ने नामांकन दाखिल करने थे । कांग्रेस भवन और देवीलाल सदन भी कार्यकर्त्ताओं से खचाखच भरे रहे और खूब जलपान के लंगर भी चले ! पहला दौर सफलतापूर्वक संपन्न और प्रशासन ने भी सुख की सांस ली ! 
अब आती है इन प्रत्याशियों की जन्मपत्री ! बार बार कहा जा रहा है कि भव्य बिश्नोई विदेश ज्यादा रहते हैं और इन्हें तो आदमपुर के गांवों के नाम तक नहीं मालूम ! कांग्रेस के सभी नेताओं ने प्रत्याशी भव्य बिश्नोई की आलोचना नहीं की बल्कि सबने कुलदीप बिश्नोई को ही निशाने पर रखा ! यह भी कमाल है ! प्रत्याशी की कोई चर्चा ही नहीं ! दूसरी ओर जयप्रकाश की आलोचना इनेलो के अभय चौटाला ने की और कहा कि जयप्रकाश कांग्रेस से पहले इनेलो में हमारे दादा चौ देवीलाल के साथ थे ! इसलिए यह कहना कि सभी प्रत्याशी कांग्रेस से आए है , यह सही नहीं है ! 
देखा जाये तो दलबदल में सारे प्रत्याशी एक से बढ़कर एक हैं ! भव्य बिश्नोई पिता कुलदीप बिश्नोई के साथ कांग्रेस में थे , फिर उनका साथ ही भाजपा में आ गये । पिता की ही तरह ट्विटर पर शेर ओ शायरी कर कांग्रेस पर निशाना साधते रहे ! पहले पिता के साथ ही भाजपा को बुरा भला कहते थे । अब कांग्रेस को कोसते हैं जी भर भर के ! पिता पुत्र को पुराने वीडियोज पर माफी मांगने पर मजबूर होना पड़ा है ! ये वीडियो भी जी का जंजाल बन रहे हैं ! मां रेणुका बिश्नोई ने इस बार करवा चौथ का पर्व भी आदमपुर की महिलाओं के संग मनाया ! चुनाव क्या क्या नहीं करवा देते ? कुलदीप बिश्नोई गांव गांव 'अपना घर है , अपना घर है आदमपुर' कहते प्रचार कर रहे हैं । घर के लोग क्या रिस्पांस देते हैं , यह देखना है ।
दलबदल तो जयप्रकाश ने भी किये । चौ देवीलाल से शुरू की राजनीति , फिर एचएयू के छात्र नेताओं के साथ असम गण परिषद की तरह अपना दल बनाया लेकिन बात नहीं बनी ।कांग्रेस में चौ भजनलाल ही लाये और आदमपुर में ही उनके बेटे के खिलाफ सन् 2009 में चुनाव में उतरे । कुछ समय तक निर्दलीय भी रहे । फिर कांग्रेस में । अब चौ भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई के खिलाफ फिर कांग्रेस की ओर से मैदान में । बहुत रोचक मामला ! नजदीकी मामला रहने की संभावना ! 
सतेंद्र सिंह हैं आप के प्रत्याशी । कांग्रेस में रहे और अशोक तंवर के नजदीकी साथी रहे । अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़ी और सतेंद्र भाजपा में चले गये । अब आप में शामिल हो गये । एक बार फिर अशोक तंवर का साथ मिल गया ! एक ही दल और एक ही मंच ! यह है दलबदल का कमाल , मचा रहे सब धमाल । 
कुरड़ा राम नम्बरदार । सुना है कि चालीस साल से कांग्रेस में थे और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मानें तो जब कांग्रेस में टिकट का सूत न बैठा तो फटाफट क्रिकेट की तरह काग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल हो गये और इनेलो को प्रत्याशी भी ढूंढना नहीं पड़ा । दलबदल ने दोनों हाथों में लड्डू थमा दिये ! दिल में ही अब लड्डू नहीं फूटते । अब तो खुल कर दलबदल खेलो और टिकट आपकी इंतज़ार मे है ! 
ये मुख्य दलों के प्रत्याशियों की जन्मकुंडली की थोड़ी सी झलक है । राजकुमार सैनी भी कुरूक्षेत्र से भाजपा की लहर में सांसद बने लेकिन जल्द ही मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे और अपनी पार्टी बना ली । अब तो धरती पकड़ जैसे हर चुनाव में नामांकन करते दिखाई देते हैं । रब्ब खैर करे ! 
फिर मिलते हैं । नामांकन वापसी के बाद ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।