भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति का संचारक भी हैः प्रो. बलदेव भाई शर्मा
'हिंदी और भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता' विषय पर संगोष्ठी।

हिसार, गिरीश सैनी। कुशाभाऊ ठाकरे विवि, रायपुर के पूर्व कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति का संचारक भी है। भाषा को गौरव और अपनत्व के साथ अपने दैनिक व्यवहार में अपनाना चाहिए। अन्य भाषाओं को सीखना गलत नहीं है, लेकिन आधुनिकता के नाम पर अपनी मातृभाषा की आत्मा को मरने नहीं देना है। प्रो. बलदेव भाई शर्मा गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि के हिंदी विभाग के सौजन्य से 'हिंदी और भारतीय सांस्कृतिक अस्मिता' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता गुजवि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि, नई दिल्ली की सह-आचार्य डा. रीता सिन्हा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही।
प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदी भाषा को लेकर अनुकूल वातावरण है। उन्होंने हिंदी को भारत की एकात्मकता का प्रतीक बताया तथा कहा कि पूरी दुनिया में हिंदी को सम्मान से देखा जा रहा है। दुनिया के लगभग 200 विवि हिंदी पढ़ा रहे हैं।
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि आज जब भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है, तब हिंदी की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यह केवल साहित्य की भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, व्यापार और डिजिटल युग की भाषा भी बन गई है। हिंदी केवल संप्रेषण का साधन नहीं, यह हमारी राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक गौरव का स्वर है।
विशिष्ट अतिथि डा. रीता सिन्हा ने कहा कि हिंदी वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां हिंदी की पहुंच नहीं है। हिंदी धर्म, जाति, सम्प्रदाय से ऊपर भारत की विभिन्नताओं को आत्मसात करती तथा देश को जोड़े रखने का काम करती है।
गुरु जम्भेश्वर महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो. किशना राम बिश्नोई ने कार्यक्रम का उद्देश्य साझा किया। स्वागत संबोधन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश बहमनी ने किया।
इस दौरान वाणिज्य विभाग द्वारा 'भारतीय पुनर्जागरण में एक दशक का अद्भुत अविस्मरणीय योगदान : भारत के वैश्विक शक्ति बनने की यात्रा (विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम)' विषय पर दो दिवसीय प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसका उद्घाटन प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि भारतीय पुनर्जागरण ने विश्व को नई दिशा दी है। पिछले एक दशक में भारत ने शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में जो अदभुत योगदान दिया है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। प्रदर्शनी में राम मंदिर का मॉडल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, नोटबंदी, स्वच्छ भारत अभियान और विकसित भारत के माडल प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण रहे।