अभय चौटाला से सीधी बात 

सड़कें नापने नहीं निकला, लोगों के मन की सुनने निकला हूं; मोदी लोकप्रिय नहीं, विपक्ष विफल 

अभय चौटाला से सीधी बात 

-कमलेश भारतीय 
इनेलो के विधायक व महासचिव अभय चौटाला इन दिनों परिवर्तन यात्रा के साथ हिसार में हैं और उनका  कहना है कि हिसार के छह विधानसभा क्षेत्रों में पूरे अठारह दिन यात्रा पर रहूंगा । उनका यह भी कहना है कि मैं सड़क नापने नहीं निकला बल्कि लोगों के मन की बात सुनने निकला हूं न कि अपने मन की बात कहने आया हूं । आज हमारी बात हिसार के सेक्टर नौ ग्यारह में इनके निकट सहयोगी भूपेंद्र कासनिया के आवास पर सुबह सवेरे चाय के प्याले पर हुई । मेरे साथ प्रमोद बागड़ी एडवोकेट भी थे । वही आज मेरे सारथी होते लेकिन उनसे पहले ही मयंक आ गये । इस तरह चाय के प्याले पर खूब बाते हुईं । वैसे वे उस समय अपने पांव की उंगलियों पर दवा लगवा रहे थे और आज की यात्रा के लिये खुद को तैयार कर रहे थे । ये रहे सीधे सीधे सवाल-जवाब  :
-हिसार में आप हो और हिसार दूरदर्शन के बंद होने पर ही आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहता हूं ।
-हिसार दूरदर्शन की जरूरत थी । न केवल हरियाणवी संस्कृति के लिये बल्कि हरियाणा की खेती और किसानों के लिये । यदि भाजपा को चौ देवीलाल के नाम पर ऐतराज था तो नाम हटा देती पर दूरदर्शन बंद क्यों किया ? 
-यह नाम हटा देने वाली परंपरा कितनी ठीक है ?
-बिल्कुल गलत है । यह अच्छी परंपरा नहीं । चौ देवीलाल की शख्सियत बहुत बड़ी है । संसद में इनको सम्मान दिया गया । यह बहुत बड़ी बात है और उन्हीं के नाम पर बने दूरदर्शन को बंद कर दिया गया । समय मिला तो मैं दूरदर्शन के गेट पर धरने पर बैठे कर्मचारियों से भी मिलने जाऊंगा ।
-अपने दादा चौ देवीलाल से क्या ग्रहण किया आपने ?
-वे बहुत सरल और साधारण थे । उपप्रधानमंत्री बनने के बाद भी सिरसा में पंडित चुन्नी लाल हलवाई के आम आदमी की तरह ही जाते थे ।  हिसार में बिश्नोई मंदिर बनाने के लिये भी जगह उन्होंने ही दी । बहुत कुछ सीखा जा सकता है और कोशिश करता रहता हूं ।
-यह तलवंडी राणा वाले धरने पर आपकी विधानसभा में कैसी बहस हुई कि स्पीकर ने आपको बाहर कर दिया ?
-मै अब भी कहता हूं कि दुष्यंत चौटाला के करीबी लोगों के नाम से जमीन ले रखी है । ऐसी बात सुनते कैसे ? जवाब कैसे देते ? इसलिये बाहर कर दिया । इससे पहली फिर भी मुझे गलत निकाला था ।
-तो तलवंडी राणा का क्या होगा ?
-रास्ता तो देना पड़ेगा लोगों को । समय सबका बदलता है लेकिन सरकार अहंकार में है ।
-मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम के बारे में , खासतौर पर सिरसा जिले में हुई घटना के बाद क्या कहेंगे ?
-यह जनसंवाद नहीं , जनसुआद है । मुख्यमंत्री कहीं भी जायें , बात तो सुननी पड़ेगी न जनता की ! साधारण आदमी की सुनना नहीं चाहते फिर कैसा जनसंवाद ? टोकन देकर बुलाया जाता है स्टेज पर । मुख्यमंत्री अहंकार से भरे हैं और अहंकार का घड़ा फूटता जरूर है । लोगों को परेशान करने वाली बात है । जब एंट्री ही नहीं आम आदमी को !
-आप क्या सोचते हैं कि कुछ समय पहले ही यात्रा शुरू कर लेता ?
-नहीं । समय पर ही है । नवम्बर में ही घोषित कर रखी थी । आज तो कांग्रेस हाथ से हाथ जोड़ो लेकर चल रही है और मुख्यमंत्री जनसंवाद पर निकल पड़े हैं । दुष्यंत अपनी तरह से चल रहा है ।
-मन में एक बात आती रही कि जब आपने किसान आंदोलन के हक में इस्तीफा दे दिया , फिर वहीं से उपचुनाव क्यों लड़े ?
-मैं लड़ना नहीं चाहता था । मैंने तो काले कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा दे दिया था लेकिन लोगों ने कहा कि फिर विधानसभा में हमारी आवाज कौन उठायेगा और मुझे उनके प्यार के आगे झुकना पड़ा ! 
-एक ऐसा ही सवाल और मन में आता रहा कि कभी अभय से अकेले में मिलूँ तो पूछ लूं कि यदि भाजपा का इतना ही विरोध था तो राज्यसभा चुनाव में भाजपा का ही साथ क्यों दिया ?
-नहीं । मैंने न भाजपा को वोट दिया और न ही कांग्रेस को और न मैं इन दलों को वोट देना चाहता था । मैंने तो मनु ने जो मेरे बाबू जी की सेवा जेल में की , उसके लिये कार्तिकेय को वोट दिया । वहां अजय भी थे लेकिन सेवा मनु ने की । वह ऋण उतारा है । पर कांग्रेस ने आज तक यह रहस्य नहीं खोले कि दूसरा वोट किसका रद्द हुआ ?
-आप राजनीतिक दल का कोई भविष्य है हरियाणा में ?
-प्रयास है । कोशिश है । वैसे आदमपुर के उपचुनाव से इनकी हालत समझ सकते हो ।
-जजपा तो दुष्यंत चौटाला को भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है ।
-उनका क्या है । वे तो भावी पीएम भी प्रोजेक्ट कर सकते हैं ! 
-हिसार के लिये कोई योजना है मन में ?
-हिसार क्यों ? हरियाणा भर का विकास करना है । चौ देवीलाल ने ही सेक्टर बनाये बाकी मुख्यमंत्रियों ने तो अपने मकान बनाये ! हम जनता के बारे में सोचेंगे ! 
-यात्रा पर क्या सोच कर निकले ?
-मैं सड़कें नापने नहीं निकला । लोगों के मन की सुनने निकला हूं  अपने मन की कहने नहीं निकला । 
-चालीस साल में राजनीति में कितना फर्क देख रहे हैं ?
-बहुत फर्क है । पहले घर के बड़े जहां कह देते थे वोट वहीं जाता था । अब ऐसा नहीं नहीं है । नयी पीढ़ी अपनी तरह से सोचती और विचार करती है । एजेंडा देखती है दलों का , नेता का करियर देखती है । 
-क्या इनेलो अम्बाला उपचुनाव लड़ेगी ?
-मुझे लगता नहीं कि सरकार ये उपचुनाव करवायेगी क्योंकि समय बहुत कम रह गया है ।
-क्या मोदी का विकल्प नहीं ?
-मोदी लोकप्रिय नहीं , विपक्ष विफल है ।
अब इनकी आज की यात्रा की तैयारी हो चुकी थी और हमने भी सवाल जवाब का सिलसिला रोक दिया और फिर किसी दिन आने की बात कही । तब कहने लगे कि एक दिन गांव गांव मेरे साथ आओ । वादा किया कि ऐसा दिन भी आयेगा ! और हम निकल लिये !