जीवन का अब तक का सबसे बड़ा चमत्कार है कृतज्ञता

कृतज्ञता शक्ति देती है। जो सहृदय और दयावान लोग बेघर और भूखे जानवरों को खाना खिलाते हैं, गरीबों की मदद करते हैं, उन सबकी दुआएं लगती हैं। इससे फर्क पड़ता है। हर जीव में एक आत्मा है, हर आत्मा में समान शक्ति है।

जीवन का अब तक का सबसे बड़ा चमत्कार है कृतज्ञता

महामारी ने बहुत से लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से बदल डाला है। कोविड के दौरान और बाद में अधिकांश लोग डिप्रेशन और शारीरिक रोगों से परेशान थे। लोगों ने इस स्थिति से उबरने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। उन्हें अहसास हुआ कि जीवन का कितना महत्व है। जो कुछ हमारे पास है वह सब कितना अनमोल है। यह उनको और अच्छे से महसूस हुआ जिन्होंने कोविड के दौरान किसी अपने को हमेशा के लिए खो दिया। जो स्वयं जीवित बच गये, उनकी आध्यात्मिक सोच मजबूत हो गयी। इस सृष्टि के निर्माता और दुनिया को चलाये रखने वाली शक्ति में आस्था विकसित हुई। मैं स्वयं कोविड में मौत को बहुत नजदीक से देखकर लौटा हूं। ठीक होने पर जब मैंने अपने डॉक्टर को धन्यवाद कहा तो उन्होंने कहा कि ''शुक्रिया तो परमात्मा का करिए, उसी ने आपको बचाया है, हमने नहीं।'' कुछ हद तक वह सही भी हैं, क्योंकि कोविड का आज भी मुकम्मल इलाज नहीं है। दूसरी लहर के समय बहुत लोगों की जानें चली गयीं। तब किसी को नहीं पता था, कौन बचेगा, कौन चला जायेगा। सब कर्मों का फेरा है। कोई चला गया, कोई जाकर भी सकुशल लौट आया।

इतना तय है कि कर्मों का फल अवश्य मिलता है। इस जन्म के कर्म और पिछले जन्म के कर्म, दोनों को मिलाकर हिसाब होता है। पीछे कुछ गलत किया होगा, जिसका परिणाम आज भुगतना पड़ता है। इसी तरह से मौजूदा जीवन में जो अच्छे या बुरे कर्म किये जाते हैं, उनका परिणाम यहां नहीं तो अगले जन्म में अवश्य मिलता है। जो प्राणी आज बिना किसी गलती के दु:ख भोग रहे हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं उनके पिछले जन्म के कर्म रहे होंगे। यह सिलसिला चलता रहता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि हर समय सजग रहकर जिया जाये और अपनी ओर से जितनी भलाई, जितना परोपकार, जितनी मदद, जितनी अच्छाई की जा सके, करते रहना चाहिए। जो अपने पास है उसके लिए ईश्वर के प्रति, लोगों के प्रति  कृतज्ञ होना चाहिए। उन चीजों को नोट करना शुरू कीजिए, जिन्हें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। उन सबके प्रति आभारी रहिए। एक डायरी में वे सब चीजें लिखते चलिए जिनके लिए आप दूसरों के कृतज्ञ हैं। जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जो भोजन हम करते हैं, जिन सुख सुविधाओं का हम आनंद लेते हैं, उन सबके लिए शुक्रगुजार रहिए, कृतज्ञ रहिए।

कृतज्ञता शक्ति देती है। जो सहृदय और दयावान लोग बेघर और भूखे जानवरों को खाना खिलाते हैं, गरीबों की मदद करते हैं, उन सबकी दुआएं लगती हैं। इससे फर्क पड़ता है। हर जीव में एक आत्मा है, हर आत्मा में समान शक्ति है। बस कर्मों का खेल है कि कोई दुखी है और कोई सुखी। सुखी लोगों को इतरान नहीं चाहिए। उनके मौजूदा जन्म के कर्म यदि अच्छे नहीं रहेंगे तो यकीन मानिए मृत्यु के बाद वे किस तरह का जीवन जीएंगे, उन्हें अभी इसका अंदाजा नहीं है। जो कृतज्ञ रहता है, उसको मौजूदा जीवन से कोई शिकायत नहीं होती, न ही उसे भविष्य की कोई चिंता सताती है। यही चरम आनंद की स्थिति है। कृतज्ञ होने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति ईश्वर के अधिक नजदीक महसूस करता है। अच्छा साहित्य पढ़िए, अच्छे लोगों की संगत में रहिए, अच्छे कर्म करिए, सबके प्रति कृतज्ञ रहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं